2024 के बजट से म्यूच्यूअल फण्ड टैक्सेशन पर कैसा असर पड़ेगा ?

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हाल ही में पेश 2024 के बजट से म्यूच्यूअल फण्ड टैक्सेशन में कैपिटल गेन पर लगने वाले टैक्स में बदलाव किया गया है। म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? आइए जानते हैं सब कुछ।

60 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की असेट अंडर मैनेजमेंट के साथ, रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए कैपिटल मार्केट में हिस्सा लेने के लिए म्यूचुअल फंड का उपयोग आम हो गया है। 2024 के बजट में वित्तीय असेट्स पर लगने वाले टैक्सेस में भी बदलाव किए गए हैं। जानिए इससे जुड़े हर प्रश्न का उत्तर…

इक्विटी स्कीम्स क्या प्रदान करती हैं?

आयकर नियमों के मुताबिक, इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड स्कीम्स में यूनिट्स की बिक्री से होने वाले फायदे पर अगर फंड का कम से कम 65% घरेलू शेयरों में निवेश होता है, तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के रूप में टैक्स लगाया जाएगा। डोमेस्टिक स्टॉक्स में खरीद के एक साल के भीतर बिक्री पर STCG और एक वर्ष के बाद बिक्री पर LTCG टैक्स लगेगा।

2024 के बजट से म्यूच्यूअल फण्ड टैक्सेशन में क्या बदलाव हुए हैं?

नए बजट के अनुसार, ₹1.25 लाख तक के LTCG पर ₹1 लाख की छूट मिलेगी। इससे इक्विटी इन्वेस्टर्स को वित्तीय वर्ष में ₹25,000 का अतिरिक्त फायदा मिलेगा। निवेशकों को इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड से ₹1.25 लाख से अधिक के फायदे के लिए पहले के 10% से 12.5% की दर से LTCG टैक्स देना होगा। एक वर्ष के भीतर बिक्री पर STCG टैक्स 20% है, जो पहले 15% था।

कौनसे इक्विटी फंड कवर किए जाते हैं?

जिन फंड में इक्विटी होल्डिंग का कुल पोर्टफोलियो 65% से ज्यादा है, उन्हें टैक्सेशन के लिए इक्विटी फंड के रूप में क्लासिफाइड किया जाता है। सभी इक्विटी स्कीम, आर्बिट्रेज फंड, बैलेंस्ड फंड (जिनमें आमतौर पर 65-75% इक्विटी और 25-35% डेब्ट होता है) और इक्विटी सेविंग फंड (इक्विटी, डेब्ट और आर्बिट्रेज) को टैक्सेशन के नजरिए से इक्विटी-ओरिएंटेड फंड के रूप में क्लासिफाइड किया जाता है।

डेब्ट स्कीम के लिए क्या बदलाव किए गए हैं?

बजट में डेब्ट-ओरिएंटेड योजना में कोई बदलाव नहीं है। इन स्कीमों पर निवेशकों को होल्डिंग अवधि के बावजूद कैपिटल गेन टैक्स का भुगतान करना होगा।

क्या किसी भी स्कीम के लिए इंडेक्सेशन योजना उपलब्ध है?

बजट प्रस्तावों के मुताबिक, किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम को इंडेक्सेशन सुविधा नहीं मिलेगी। इंडेक्सेशन से पहले, मल्टी-असेट और हाइब्रिड कैटेगरी में 35 से 65 प्रतिशत इक्विटी रखने वाली कुछ स्कीमों को फायदा मिल सकता था। अगर निवेशक इन स्कीमों को कम से कम 24 महीने तक रोकते हैं, तो उन्हें LTCG टैक्स की दर से 12.5% देना होगा। उन्हें 2 साल से पहले बेचने पर STCG टैक्स देना होगा।

गोल्ड स्कीम, FOF के बारे में क्या है?

फंड ऑफ फंड्स (एमएफ जो अन्य फंड्स में निवेश करते हैं), इंटरनेशनल फंड्स (विदेशी इक्विटी में 35% से ज्यादा एक्सपोजर) और गोल्ड/सिल्वर फंड को डेब्ट इंस्ट्रूमेंट के रूप में माना जाता था। अब, कम से कम 24 महीनों के लिए रखे गए नए निवेशों पर 12.5% का LTCG टैक्स लगेगा, जबकि 2 साल से कम की होल्डिंग अवधि पर स्लैब दर के अनुरूप STCG टैक्स लगेगा।

निष्कर्ष:

2024 के बजट में कैपिटल गेन पर लगाए गए टैक्स में बदलाव ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए कई जरूरी पहलुओं को उजागर किया है। विशेष रूप से इक्विटी-ओरिएंटेड फंड्स पर लागू होने वाले टैक्स में वृद्धि से निवेशकों को अपनी योजनाओं को दुबारा प्राप्त करने की जरूरत होगी। ₹1.25 लाख तक के फायदे पर मिलने वाली छूट से छोटे निवेशकों को राहत मिलेगी, वहीं ₹1.25 लाख से ज्यादा के फायदे पर 12.5% की दर से टैक्स देना होगा।

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स में वृद्धि के साथ, एक साल से कम अवधि के लिए इक्विटी स्कीम में निवेश करना महंगा हो सकता है। दूसरी ओर, डेब्ट-ओरिएंटेड स्कीम्स पर टैक्सेशन में कोई बदलाव नहीं होने से उनके निवेश पर कर फायदे की स्थिति धीमी रहेगी।

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