Loan Settlement करवाते समय ये ध्यान रखे की बैंक आपसे ज्यादा से ज्यादा रकम लेने की कोसिस करेगा, लेकिन आपको लोन की बात 15-25% से स्टार्ट करनी चाहिए।
अगर आपका लोन काफी पुराना है और बैंक उसे सेटल करना चाहती है तो 15 से 25% में लोन सेटल हो जाते हैं क्योंकि ऐसे में बैंक को भी अपना नॉन- परफोर्मिंग एसेट (NPA) कम करना होता है। जब भी आप बैंक से लोन सेटल कराते हैं तो कोशिश करिए की जितना कम से कम हो सके, उतना कम करवाए।
1.Loan Settlement राशि
लोन सेटलमेंट राशि वह रकम होती है जिसे आप एक बार में पूरी तरह से चुकाकर अपने लोन को बंद कर सकते हैं। इसका मतलब है कि आप अपने लोन की बकाया राशि और उससे जुड़े ब्याज को पूरी तरह से चुका देते हैं, और आपके लोन अकाउंट बंद हो जाता है। यह राशि लोन के पूरे बकाया मूलधन और ब्याज के अलावा अन्य चार्जेस और फीस को भी शामिल करती है।
2. सेटलमेंट राशि के निर्धारण के कारक
लोन की सेटलमेंट राशि को तय करने में कई कारक शामिल होते हैं:
- मूलधन (Principal): यह वह राशि होती है जितना आपने लोन लिया था और जो आपको चुकानी होती है।
- ब्याज (Interest): यह अतिरिक्त राशि होती है जो आपके लोन के साथ जुड़ी होती है और लोन की अवधि के दौरान समय-समय पर जुड़ती जाती है।
- प्रीपेमेंट चार्ज (Prepayment Charges): कुछ बैंकों और आर्थिक संस्थाओं द्वारा लोन को पहले चुकाने पर एक्स्ट्रा शुल्क लिया जा सकता है।
- सेटलमेंट फीस (Settlement Fees): लोन के सेटलमेंट के दौरान भी कुछ प्रशासनिक फीस हो सकती है।
- अन्य चार्जेस (Other Charges): कभी-कभी अन्य शुल्क जैसे कि प्रोसेसिंग फीस, लेट फीस, आदि भी हो सकते हैं।
3. Loan Settlement राशि की गणना
सेटलमेंट राशि को निमन्लिखित तरीको से गिन सकते है:
- लोन अमाउंट की जानकारी: सबसे पहले, आपको अपने लोन के बकाया मूलधन(principal) की जानकारी प्राप्त करनी होगी। यह जानकारी आपके लोन के पासबुक या आपके बैंक के ग्राहक सेवा से प्राप्त की जा सकती है।
- ब्याज की गणना: लोन के साथ जुड़े ब्याज की गणना करने के लिए, आपको लोन की मौजूदा ब्याज दर और आपकी शेष अवधि को ध्यान में रखना होगा।
- प्रीपेमेंट और सेटलमेंट फीस: बैंक या आर्थिक संस्था से संपर्क करके प्रीपेमेंट और सेटलमेंट फीस की जानकारी प्राप्त करें।
- कुल राशि की गणना: इन सभी फैक्टर्स को जोड़कर आप अपनी सेटलमेंट राशि की गणना कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि आपके लोन का बकाया मूलधन ₹1,00,000 है और ब्याज ₹10,000 है, और बैंक द्वारा प्रीपेमेंट चार्ज ₹2,000 है, तो आपकी सेटलमेंट राशि ₹1,12,000 होगी।
4. सेटलमेंट प्रक्रिया
लोन को सेटल करने के लिए निम्नलिखित सामान्य प्रक्रिया का पालन किया जा सकता है:
- लोन की जानकारी इकट्ठा करना: अपने लोन की बकाया राशि, ब्याज, और अन्य चार्जेस की जानकारी प्राप्त करें।
- बैंक से संपर्क करना: अपने बैंक या आर्थिक संस्था से संपर्क करें और उन्हें लोन सेटलमेंट की इच्छा बताएं।
- सेटलमेंट राशि: बैंक से सेटलमेंट राशि की बात करें और यदि आवश्यक हो तो दस्तावेज़ या अनुबंध की मुआयना करें।
- सेटलमेंट राशि का भुगतान: बैंक द्वारा बताई गई सेटलमेंट राशि पे करें।
- प्रूफ प्राप्त करना: भुगतान के बाद, बैंक से लोन के सेटलमेंट की पुष्टि प्राप्त करें और सुनिश्चित करें कि सभी रिकॉर्ड अपडेट हो गए हैं।
5.लोन सेटलमेंट करते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए
- लिखित समझौता-पत्र पाना चाहिए।
- दस्तावेज़ों को ध्यान से पढ़ना चाहिए और सौदे की शर्तों और नियमों को अच्छे से समझना चाहिए।
- लेनदार से बात करके किसी भी सवाल या चिंता का समाधान करना चाहिए।
- जिस तारीख पर बात हुयी थी या उससे पहले भुगतान करना चाहिए।
- लेनदार से यह पक्का करना चाहिए कि वह क्रेडिट ब्यूरो में निपटाए गए खाते की रिपोर्ट दे।
- अपनी आर्थिक स्थिति का आकलन करना चाहिए।
6.सेटलमेंट के लाभ और हानि
लाभ:
- मूलधन और ब्याज की बचत: वन-टाइम सेटलमेंट करने पर आप भविष्य में ब्याज भुगतान से बच सकते हैं।
- लोन समाप्ति: लोन के खत्म होने पर आपको मासिक किश्तों की चिंता नहीं करनी होगी।
- क्रेडिट स्कोर पर प्रभाव: सही तरीके से लोन का सेटलमेंट आपके क्रेडिट स्कोर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
हानि:
- अत्यधिक चार्जेस: प्रीपेमेंट और सेटलमेंट फीस अतिरिक्त लागत बढ़ा सकते हैं।
- आर्थिक तनाव: वन -टाइम सेटलमेंट भुगतान आपके वर्तमान आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
7. सेटलमेंट से जुड़ी सामान्य गलतफहमियां
- सेटलमेंट राशि हमेशा कम होती है: कई लोगों को लगता है कि सेटलमेंट राशि हमेशा कम होती है। लेकिन यह सच नहीं है; यह राशि आपके लोन की शर्तों और आपके द्वारा चुकाए गए ब्याज पर निर्भर करती है।
- सेटलमेंट करने पर क्रेडिट स्कोर खराब होगा: यदि आप सही प्रक्रिया का पालन करते हैं, तो लोन के सफल सेटलमेंट के बाद आपका क्रेडिट स्कोर बेहतर हो सकता है।
- सेटलमेंट के बाद भी बकाया रह सकता है: सही सेटलमेंट प्रक्रिया का पालन न करने पर बकाया रह सकता है, इसलिए दस्तावेज़ की जांच जरूरी है।
8. महत्वपूर्ण सलाह
दस्तावेज़ की सही मुआयना करें: सेटलमेंट के बाद सभी दस्तावेज़ और प्रमाण का मुआयना करें ताकि भविष्य में कोई समस्या न आए।
फाइनेंसियल सलाहकार की मदद लें: यदि आप सेटलमेंट प्रक्रिया को लेकर अनिश्चित हैं, तो किसी आर्थिक सलाहकार की मदद लें।
लोन सेटलमेंट और कानूनी दृष्टिकोण: लोन सेटलमेंट प्रक्रिया के दौरान कानूनी पहलुओं को समझना भी आवश्यक है। कई बार, सेटलमेंट के लिए लेंडर और उधारकर्ता के बीच एक कानूनी दस्तावेज तैयार किया जाता है, जिसमें सेटलमेंट की शर्तें स्पस्ट रूप से लिखी होती हैं। यह दस्तावेज दोनों पक्षों के अधिकार और कर्तव्यों को स्पष्ट करता है और किसी भी विवाद की स्थिति में एक कानूनी आधार प्रदान करता है।
सेटलमेंट पर टैक्स के प्रभाव: लोन सेटलमेंट के दौरान, सेटलमेंट राशि पर टैक्स की जिम्मेदारी भी हो सकती है। कई देशों में, सेटलमेंट पर प्राप्त छूट को आय के रूप में माना जा सकता है और इस पर टैक्स लग सकता है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि सेटलमेंट राशि पर टैक्स के नियम क्या हैं और इसे सही तरीके से रिपोर्ट करना जरूरी है।
स्मार्ट नेगोशिएशन तकनीक: लोन सेटलमेंट के दौरान, स्मार्ट नेगोशिएशन तकनीक अपनाना लाभकारी हो सकता है।यह तकनीक उधारकर्ता को बेहतर शर्तें और कम से कम राशि के साथ सेटलमेंट प्राप्त करने में मदद कर सकती है। इसके लिए, उधारकर्ता को पहले से ही अपनी आर्थिक स्थिति और लेंडर की नीतियों का अच्छी तरह से अध्ययन करना चाहिए और एक उचित प्रस्ताव तैयार करना चाहिए।
फाइनेंशियल काउंसलिंग का महत्व: लोन सेटलमेंट की प्रक्रिया को सुचारू और प्रभावी बनाने के लिए आर्थिक काउंसलिंग प्राप्त करना महत्वपूर्ण हो सकता है। आर्थिक सलाहकार उधारकर्ता को उनके विकल्पों के बारे में सही जानकारी प्रदान कर सकते हैं और सेटलमेंट के दौरान संभावित जोखिमों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
लोन सेटलमेंट की बजाय अन्य विकल्प: लोन सेटलमेंट के अलावा, कई अन्य विकल्प भी हो सकते हैं जिन्हें उधारकर्ता पर विचार कर सकते हैं,जैसे कि लोन री-स्ट्रक्चरिंग, कंसोलिडेशन, या लोन डिफॉल्ट के बदले पुनर्वित्त। ये विकल्प भी उधारकर्ता को उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर बेहतर समाधान प्रदान कर सकते हैं।
लोन सेटलमेंट का प्रभाव लोन की पुनर्निर्माण पर: लोन सेटलमेंट का प्रभाव केवल उधारकर्ता के मौजूदा लोन पर ही नहीं, बल्कि भविष्य में नए लोन लेने की क्षमता पर भी पड़ सकता है। लोन सेटलमेंट के रिकॉर्ड को ध्यान में रखते हुए बैंकों और आर्थिक संस्थानों में उधारकर्ता को भविष्य में लोन प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है। इसे ठीक करने के लिए, उधारकर्ता को अपनी क्रेडिट रिपोर्ट को नियमित रूप से देखना और सुधारने के उपायों पर ध्यान देना चाहिए।
सेटलमेंट की संभावित लंबी अवधि: Loan Settlement की प्रक्रिया कभी-कभी समय ले सकती है। इसमें लेंडर की स्वीकृति, दस्तावेज़ तैयार करना, और भुगतान की प्रक्रिया शामिल होती है। इसलिए, उधारकर्ता को इस प्रक्रिया के लिए उचित समय देना और धैर्य बनाए रखना जरूरी है।
Loan Settlement की योजना बनाते समय सावधानियाँ: जब उधारकर्ता लोन सेटलमेंट की योजना बनाते हैं, तो उन्हें सावधानीपूर्वक योजना बनानी चाहिए। इसमें सेटलमेंट राशि, भुगतान की समय सीमा, और अन्य शर्तें स्पष्ट रूप से तय की जानी चाहिए। इसके अलावा, सभी संचार और दस्तावेज़ों को सही तरीके से संभालना और सुरक्षित रखना चाहिए।
सर्विस चार्ज और हिडन फीस: लोन सेटलमेंट के दौरान, कुछ बैंकों या आर्थिक संस्थानों द्वारा सर्विस चार्ज या हिडन फीस लगाए जा सकते हैं। उधारकर्ता को इन एक्स्ट्रा खर्चों के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और पक्का करना चाहिए कि सेटलमेंट के समस्त खर्चे स्पष्ट रूप से बताए गए हैं।
लोन सेटलमेंट और क्रेडिट कार्ड: यदि उधारकर्ता के पास क्रेडिट कार्ड लोन है, तो सेटलमेंट प्रक्रिया में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। क्रेडिट कार्ड लोन की सेटलमेंट प्रक्रिया और शर्तें अन्य प्रकार के लोन से अलग हो सकती हैं। इसके लिए, क्रेडिट कार्ड कंपनी की नीतियों को समझना और सही जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है।
निष्कर्ष:
Loan Settlement वह राशि होती है जो सेटलमेंट करवाते समय एक बार पे करना होता है। इस भुगतान के बाद आप हर महीने की EMI से बच जायेंगे। परन्तु इसके कुछ लाभ और कुछ हानि भी हैं, इसीलिए हर चीज़ को सोच ओ समझ के अच्छे से करना चाहिए। अगर आपको वन-टाइम सेटलमेंट करने आपको किसी भी तरह की शंका आती है तो, आप आर्थिक सलहाकार से कंसल्ट कर सकते हैं। सेटलमेंट करवाते समय ऊपर दिए गए सलाहओ का ध्यान रखे।