RBI ने दो अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों पर लगाया जुर्माना

RBI imposed fine on two urban co-operative banks

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 4 नवंबर को दो अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों के खिलाफ सख्त कार्येवाही की घोषणा की थी। इन बैंकों में महाराष्ट्र के उदगीर मौजूदा सहयोग अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और मेघालय के तुरा में स्थित तुरा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड शामिल हैं। इन दोनों बैंकों पर बैंकिंग नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगा है, और आरबीआई ने इन बैंकों पर जुर्माना भी लगाया है।

आरबीआई ने दोनों बैंकों के खिलाफ जो कदम उठाए हैं, उससे ग्राहकों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह कार्येवाही केवल बैंकिंग नियमों के उल्लंघन को लेकर की गई है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आखिर आरबीआई ने इन बैंकों पर किस प्रकार का जुर्माना लगाया और इसके कारणों पर रोशनी डालेंगे।

कौन से बैंक हैं, जिन पर आरबीआई द्वारा कार्येवाही की गई हैं?

RBI ने दो अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों पर लगाया जुर्माना, आरबीआई की इस कार्येवाही के अंतर्गत दो बैंकों को शामिल किया गया है:

  • सहयोग अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, उदगीर, महाराष्ट्र: इस बैंक पर 1.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
  • तुरा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, तुरा, मेघालय: इस बैंक पर 1 लाख रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया गया है।

आरबीआई ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 के तहत इन दोनों बैंकों के खिलाफ यह कदम उठाया है, जिसमें धारा 46(4)(i), धारा 56 और धारा 47A(1)(C) का उल्लंघन शामिल है। यह कार्येवाही आरबीआई के नियामक और प्रशासनिक शक्तियों के तहत की गई है, ताकि बैंकिंग प्रणाली को सुरक्षित और अनुशासित बनाया जा सके।

किस बैंक पर कितना जुर्माना और क्यों लगाया गया हैं?

सहयोग अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर कार्येवाही

महाराष्ट्र के उदगीर में स्थित सहयोग अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर बैंकिंग से जुड़े नियमों का पालन न करने के कारण 1.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया हैं। बैंक ने नियमो के अनुसार जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता फण्ड में एक निश्चित राशि को हस्तांतरित नहीं किया था, जो कि एक अनिवार्य प्रावधान है। इस फण्ड का उद्देश्य जमाकर्ताओं को बैंकिंग जानकारी प्रदान करना है ताकि उन्हें बैंकिंग प्रक्रियाओं के बारे में अच्छी तरह जानकारी हो सके और वे अपने हितों की रक्षा कर सकें।

तुरा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर कार्येवाही

मेघालय के तुरा में स्थित तुरा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस बैंक ने आरबीआई द्वारा जारी किए गए नियमो का पालन नहीं किया। बैंक ने आरबीआई की अनुमति के बिना 25,000 रुपये प्रति वर्ष से अधिक पूंजीगत लागत किया और जोखिम सीमा से अधिक नए लोन को स्वीकृत किए। यह उल्लंघन एसएएफ (Supervisory Action Framework) के तहत आता है, जो कि एक सख्त निगरानी का नियम है।

कार्येवाही का उद्देश्य और इसका ग्राहकों पर असर 

आरबीआई की यह कार्येवाही मुख्य रूप से बैंकिंग प्रणाली में अनुशासन बनाए रखने और बैंकों को उनकी जिम्मेदारियों की याद दिलाने के लिए की गई है। आरबीआई के इस जुर्माने का मकसद बैंकों के उन मामलों पर लगाम लगाना है जो बैंकिंग कानूनों और नियामक मानकों का पालन नहीं करते हैं।

ग्राहकों पर असर

आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि इन बैंकों पर लगाई गई सजा का असर ग्राहकों के लेन-देन और बैंकिंग सेवाओं पर नहीं पड़ेगा। बैंक अपने ग्राहकों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं करेंगे। इसका मतलब है कि ग्राहकों के बैंक खाते, जमा राशि, लोन और अन्य बैंकिंग सेवाएं चलती रहेंगी।

बैंकिंग विनियमन अधिनियम और उसकी भूमिका

बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 भारतीय बैंकिंग प्रणाली को नियमित और संरक्षित करने के लिए आरबीआई को अधिकार प्रदान करता है। इस अधिनियम के अलग – अलग प्रावधान बैंकों की जिम्मेदारियों, कर्तव्यों और सीमा को स्पष्ट करते हैं ताकि बैंक अपने ग्राहकों के प्रति ईमानदारी से सेवा दे सकें।

इस कार्येवाही में इस्तेमाल की गई धाराएँ

  • धारा 46(4)(i): यह धारा आरबीआई को वित्तीय दंड लगाने का अधिकार देती है।
  • धारा 47A(1)(C): यह धारा आरबीआई को बैंकों के वित्तीय लेन-देन की निगरानी और आवश्यकता के अनुसार कार्येवाही करने की शक्ति देती है।
  • धारा 56: यह धारा सहकारी बैंकों के संचालन को विनियमित करती है और उनकी गतिविधियों पर नियंत्रण रखती है।

आरबीआई की सतर्कता और बैंकों की जिम्मेदारी

RBI समय-समय पर बैंकों के संचालन का निरीक्षण करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह सभी नियमों का पालन कर रहे हैं। अगर कोई बैंक नियमों का उल्लंघन करता है, तो आरबीआई नोटिस जारी करके उनका कारण मांगता है। इसी प्रक्रिया के तहत दोनों बैंकों को पहले नोटिस जारी किया गया था।

आरबीआई ने न केवल लिखित में दिए गए जवाबों का अध्ययन किया हैं, बल्कि व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर भी दिया। इस सुनवाई के बाद ही आरबीआई ने यह जुर्माना लगाया, जो कि बैंकों के नियमों की खामियों के आधार पर था।

निष्कर्ष:

आरबीआई द्वारा महाराष्ट्र के सहयोग अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और मेघालय के तुरा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर लगाए गए जुर्माने का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली को सुरक्षित बनाए रखना है। यह कदम साबित करता है कि आरबीआई भारतीय बैंकिंग प्रणाली में अनुशासन और जिम्मेदारी बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। इन बैंकों ने बैंकिंग नियमों का पालन नहीं किया हैं, जिसके परिणामस्वरूप आरबीआई ने उन पर कार्येवाही की हैं। हालांकि, यह कार्येवाही केवल नियमों का उल्लंघन करने पर केंद्रित है और इसका ग्राहकों के लेन-देन या खातों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

आरबीआई द्वारा नियमों का पालन सुनिश्चित करना बहुत जरुरी है क्योंकि यह बैंकों की वित्तीय स्थिरता और जमाकर्ताओं के विश्वास को बनाए रखने में मदद करता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि चाहे छोटे अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक हों या बड़े बैंक, अगर वह नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो आरबीआई द्वारा उन पर कार्येवाही की जा सकती है।

ग्राहकों के लिए यह एक आश्वासन है कि बैंकिंग प्रणाली में उनकी जमा राशि और उनके अधिकार सुरक्षित हैं। आरबीआई का उद्देश्य केवल बैंकों को दंडित करना नहीं, बल्कि उन्हें उनके कर्तव्यों की याद दिलाना और बैंकिंग प्रणाली में सुधार करना है।

इस लेख से सम्बंधित सवाल (FAQ’s)

प्रश्न: क्या आरबीआई की इस कार्येवाही के बाद बैंक बंद हो सकते हैं?

उत्तर: नहीं, यह कार्येवाही केवल नियमों के उल्लंघन को लेकर है और इसका उद्देश्य बैंक बंद करना नहीं है। आरबीआई का उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना है कि बैंक सही नियमों का पालन करें और ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

प्रश्न: क्या यह पहली बार है जब आरबीआई ने ऐसे किसी बैंक पर जुर्माना लगाया है?

उत्तर: नहीं, आरबीआई समय-समय पर अलग – अलग बैंकों पर कार्येवाही करता है अगर वह बैंकिंग नियमों का उल्लंघन करते हैं। इसका उद्देश्य बैंकों में अनुशासन बनाए रखना और बैंकिंग प्रणाली को सुरक्षित बनाना होता है।

प्रश्न: क्या आरबीआई के इस फैसले के बाद बैंकों में ग्राहकों की जमा राशि सुरक्षित है?

उत्तर: हां, ग्राहकों की जमा राशि सुरक्षित है। यह कार्येवाही केवल बैंकिंग नियमों के उल्लंघन को लेकर की गई है और ग्राहकों के पैसो पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रश्न: बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 46(4)(i) क्या है?

उत्तर: यह प्रावधान आरबीआई को वित्तीय दंड लगाने का अधिकार देता है जब कोई बैंक नियमों का उल्लंघन करता है। इसका उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में अनुशासन बनाए रखना है।

प्रश्न: आरबीआई ने इस कार्येवाही में व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर क्यों दिया?

उत्तर: आरबीआई ने बैंकों को अपनी स्थिति के बारें सबूत देने का मौका देने के लिए व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिया। इसके बाद ही आरबीआई ने जुर्माना लगाने का निर्णय लिया हैं।

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