ये बात तो सभी को पता है कि लगातार 90 दिनों तक लोन या क्रेडिट कार्ड की पेमेंट न करने पर आपका लोन या क्रेडिट अकाउंट बैंक द्वारा NPA कर दिया जाता है।
पर आज की वीडियो में हम जानेंगे कि बैंक ऐसा करता क्यों है? आपका लोन या क्रेडिट कार्ड अकाउंट NPA करने से बैंक को क्या फायदा या नुकसान होता है और क्या NPA होने के बाद भी बैंक अपनी रिकवरी कर सकता है?
जी हाँ, NPA होने के बाद बैंक और ज्यादा तेज़ी से रिकवरी कर सकता है और वो कैसे होता है। ये भी आपको इस वीडियो में जल्द ही पता चल जायेगा। वीडियो में आपको ये भी पता चलेगा कि अगर आपका लोन या क्रेडिट कार्ड अकाउंट NPAहो गया है तो आपको क्या करना चाहिए?
आज की पूरी वीडियो NPA और उसके कम्पलीट प्रोसेस से जुडी हुई है। तो वीडियो को बिलकुल ध्यान से देखे। जल्दबाज़ी के चक्कर में ज्ञान अधूरा रह जायेगा।
NPA ( Non Performing Assets ) क्या है?
NPA यानी Non Performing Assets (गैर निष्पादित सम्पति) इसका मतलब समझने से पहले आप सभी ये जान लो की Assets यानी सम्पति का मतलब क्या होता है? इसका मतलब होता है ऐसी चीज़ या सम्पति जो आपको आने वाले समय में इंटरेस्ट या मुनाफा कमा के दे उसे हम आसान भाषा में Assets कहते है।
NPA यानी Non Performing Assets (गैर निष्पादित सम्पति) इसका मतलब होता है की जब कोई व्यक्ति या कमपनी बैंक से लिए हुए क्रेडिट कार्ड या लोन की EMI को 90 या इससे ज्यादा दिनों तक चूका नहीं पाता है जो उस व्यक्ति के लोन को NPA घोषित कर दिया जाता है। बैंक उस लोन पर NPA लगा देता है। NPA कोई बैंक तब लगाता है जब आपने बैंक से लिए हुए लोन की EMI को 90 या इससे ज्यादा दिनों तक नहीं चुकाया है।
NPA ( Non Performing Assets ) काम कैसे करता है।
ऊपर जैसा की आपने पढ़ा की उस लोन NPA में तब तक जोड़ा नहीं जायेगा जब तक वो व्यक्ति या कमपनी उस लोन को चुकाने में ज्यादा दिन का समय न लगा दे। अगर उस लोन को चुकाने में वह व्यक्ति या कपंनी ज्यादा दिनों का समय लगा देते है और लोन को नहीं भर पाते है तो उस लोन को NPA में जोड़ दिया जाता है। यानी की जब कोई कंपनी किसी बैंक से लोन लेती है और उस लोन के ब्याज को 3 महीने नहीं भर पाती है तो बैंक कंपनी के लिए गए लोन को अपने Balance Sheet में NPA के रूप में जोड़ लेता है। इसके साथ ही कंपनी बैंक को लोन की सभी EMI भरने के बाद भी लोन का पूरा पैसा उसकी आखिरी तारिक तक भरने में असफल रहती है तो बैंक उस लोन को NPA घोषित कर देता है।
NPA ( Non Performing Assets ) कितने प्रकार के होते है?
बैंक ने NPA को तीन प्रकार में बाँट रखा है :
- Sub Standard Assets
आपने बैंक से लिए हुए लोन को 12 महीने से पहले नहीं चुकाया तो बैंक आपको Sub Standard Assets ( NPA ) में जोड़ दिया जाता है।
- Doubtful NPA
इसका मतलब होता है जब कोई व्यक्ति अपने लोन की 12 महीने से ज्यादा दिनों तक चूका नहीं पा रहा है तो उसे Doubtful Assets में जोड़ दिया जाता है।
- Loss Assets NPA
इसका मतलब होता ऐसा लोन जिसको बहुत समय से चुकाया नहीं गया है और आगे भी चुकाने की सम्भावना नहीं है तो बैंक उसे Loss Assets NPA में जोड़ देता है।
NPA ( Non Performing Assets ) की Recovery के क्या तरीके होते है?
अगर किसी व्यक्ति ने लोन लेते समय अपना कोई सामान गिरवी रखा था तो बैंक उन गिरवी रखे सामानो को बेचकर अपने लोन के पैसो को वसूलती है। लेकिन ज्यादातर केसेस में बैंक अपने लोन की पूरी रकम जमा नहीं पाते है। अगर उस व्यक्ति या कंपनी ने अपना कोई सामान गिरवी नहीं रखा है तो बैंकNPA की रिकवरी करने के लिए बैंक्स के रिकवरी एजेंट्स को उस व्यक्ति या कंपनी के लोन के NPA की Sheet को उस रिकवरी एजेंट को दे देते है और वह एजेंट उस NPA के लोन की रिकवरी उस व्यक्ति या फिर उस कंपनी से करने की कोशिश करता है।
NPA ( Non Performing Assets ) का आप पर क्या असर पड़ेगा?
- अगर आप अपने लोन का भुगतान समय पर नहीं करते है और आपका लोन NPA में जुड़ जाता है तो आपको आने वाले समय में लोन मिलने की सम्भावना कम है।
- अगर आपके लोन पर NPA लग जाता है जो उससे आपके क्रेडिट स्कोर पर भी असर पड़ता है।
- NPA के जरिये आप पर बैंक का दबाब पड़ता है और बैंक रिकवरी एजेंट भी आके घर आते है।
NPA ( Non Performing Assets ) से बचने के क्या तरीके है?
- अगर आपको NPA होने से बचना है तो आपको अपना लोन समय पर चुकाना होगा।
- NPA में लोन न आ जाये इसके लिए आपको यह तय करना होगा आप कितना लोन अफ़्फोर्ड कर सकते है और उस लोन की EMI को चूका सकते है या फिर नहीं चूका सकते है।
भारत में ज्यादा NPA होने के क्या कारण है?
- जब अर्थव्यवश्ता में गिरावट आती है तो लोगो और कमपनी को लोन चुकाने में दिक्कत आती है तो वह लोन नहीं चूका पाते है।
- कुछ लोग जानभूझकर लोन की रकम को नहीं चुकाते है और उनका लोन NPA में चले जाता है।
- कुछ मामलो में भारत की राजनीति भी NPA पर असर डालती है। क्युकी भारत के राजनेता जितने पर लोगो को वादा करते है की उनका लोन माफ़ करवा दिया जायेगा और लोन माफ़ करवा देते है जिससे NPA भी बढ़ता है।