कौनसी बैंकिंग पॉलिसी Loan Settlement को Affect करती है?

Which banking policy affects loan settlement

संक्षेप 

Loan Settlement एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसमें बैंक और उधारकर्ता आपसी सहमति से बकाया लोन को कम राशि में निपटाते हैं। यह विकल्प तब सामने आता है जब ग्राहक आर्थिक रूप से कमजोर हो जाता है और पूरा लोन चुकाने की स्थिति में नहीं होता हैं। लेकिन यह समझना भी बहुत जरूरी होता है कि Loan Settlement सिर्फ एक समझौता नहीं, बल्कि यह कई बैंकिंग नीतियों पर आधारित प्रक्रिया है।

सबसे पहले, RBI की गाइडलाइंस यह तय करती हैं कि कौन-से लोन को NPA माना जाएगा और किन परिस्थितियों में लोन को रीस्ट्रक्चर या सेटल किया जा सकता है। इसके बाद, बैंक की अपनी क्रेडिट पॉलिसी यह निर्धारित करती है कि किसी विशेष ग्राहक को सेटलमेंट की सुविधा दी जाएगी या नहीं। इसके साथ ही, Loan Recovery Policy, One Time Settlement (OTS) स्कीम, और Fair Practices Code जैसी नीतियाँ भी अहम भूमिका निभाती हैं।

इसके अलावा, क्रेडिट ब्यूरो रिपोर्टिंग पॉलिसी यह तय करती है कि सेटलमेंट के बाद ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट पर क्या प्रभाव पड़ेगा। अक्सर, “Settled” स्टेटस आपके CIBIL स्कोर को नुकसान पहुंचाता है, जिससे भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड लेना मुश्किल हो सकता है। इसी तरह, यदि सेटलमेंट नहीं हो पाता हैं, तो SARFAESI Act या IBC जैसे कानूनों के तहत कानूनी कार्रवाई की जाती है।

परिचय

आज के दौर में लोन लेना आम बात हो गई है। पढ़ाई, घर खरीदना, बिजनेस शुरू करना या फिर किसी इमरजेंसी में मदद के लिए लोग बैंक या फाइनेंशियल संस्थानों से लोन लेते हैं। लेकिन जब किसी कारणवश हम समय पर लोन नहीं चुका पाते हैं, तब बात आती है Loan Settlement (Loan Settlement) की। यह प्रक्रिया तब शुरू होती है जब उधार लेने वाला व्यक्ति लोन की पूरी रकम चुकाने में असमर्थ होता है और बैंक या NBFC (Non-Banking Financial Company) के साथ मिलकर कुछ रियायतों के साथ समझौता करता है।

यही वजह है कि यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि कौन-कौन सी बैंकिंग पॉलिसियाँ (Banking Policies) इस Loan Settlement को प्रभावित करती हैं। क्योंकि ये पॉलिसियाँ ही तय करती हैं कि बैंक आपके Loan Settlement के रिक्वेस्ट को स्वीकार करेगा या नहीं। इसके अलावा ये पॉलिसियाँ यह भी निर्धारित करती हैं कि सेटलमेंट के बाद आपकी क्रेडिट हिस्ट्री (Credit History) और CIBIL स्कोर पर क्या असर पड़ेगा।

अब सवाल यह उठता है कि बैंक किन बातों को ध्यान में रखकर Loan Settlement की मंज़ूरी देता है? दरअसल, इसमें कई फैक्टर काम करते हैं – जैसे Reserve Bank of India (RBI) की गाइडलाइंस, बैंक की अपनी आंतरिक पॉलिसी, ग्राहक की भुगतान करने की क्षमता, लोन की राशि, डिफॉल्ट का समय, और ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट।

आज के इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि कौन-कौन सी प्रमुख बैंकिंग नीतियाँ Loan Settlement पर असर डालती हैं, इन नीतियों का ग्राहकों पर क्या प्रभाव पड़ता है और किस तरह से आप इन पॉलिसियों की समझ के साथ एक बेहतर निर्णय ले सकते हैं। आइए अब आगे बढ़ते हैं और इन पॉलिसियों की बारीकियों को समझते हैं।

Loan Settlement क्या होता हैं? 

यह एक ऐसी वित्तीय प्रक्रिया होती है जिसमें बैंक या वित्तीय संस्था लोन लेने वाले व्यक्ति को पूरी बकाया लोन की राशि को चुकाने के बजाय कम राशि देकर लोन निपटाने का मौका देती है। यह सुविधा उन लोगों के लिए होती है जो किसी कारण से अपना लोन समय पर नहीं चुका पाते हैं और लगातार डिफॉल्ट कर रहे होते हैं। 

सेटलमेंट के तहत बैंक एकमुश्त राशि (लंपसम अमाउंट) पर सहमति बना सकता है, जिससे लोन बंद हो जाता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि Loan Settlement करने से आपका CIBIL स्कोर प्रभावित हो सकता है, जिससे भविष्य में आपको लोन लेने में  मुश्किल हो सकती है। इसलिए, इसे अंतिम विकल्प के रूप में ही अपनाना चाहिए।

Loan Settlement कैसे काम करता है?

जब कोई व्यक्ति अपने पर्सनल लोन की EMI समय पर चुकाने में असमर्थ हो जाता है और लंबे समय तक बकाया राशि जमा हो जाती है, तो बैंक या वित्तीय संस्था Loan Settlement का विकल्प देती है। इसमें बैंक ग्राहक को पूरी बकाया राशि के बजाय रियायती रकम (discounted amount) चुकाने का मौका देता है, जिससे लोन का मामला निपट जाता है।

सेटलमेंट की प्रक्रिया में ग्राहक और बैंक के बीच बातचीत होती है, जहां बैंक इस बात की पुष्टि करता है कि ग्राहक लोन का पूरा भुगतान नहीं कर सकता हैं। इसके बाद, बैंक एक सिंगल-शॉट पेमेंट ऑफर देता है, जो आमतौर पर बकाया लोन राशि से कम होता है। जब ग्राहक इस सहमत राशि का भुगतान कर देता है, तो बैंक लोन को “Settled” के रूप में रिपोर्ट करता है। हालांकि, यह CIBIL स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है क्योंकि इसे “Complete Payment” नहीं माना जाता हैं।

इसलिए, Loan Settlement को अंतिम विकल्प के रूप में ही चुनना चाहिए और अगर संभव हो, तो लोन रीपेमेंट प्लान, लोन री-स्ट्रक्चरिंग या अन्य वित्तीय समाधान पर विचार करना चाहिए ताकि क्रेडिट स्कोर खराब न हो।

Loan Settlement करने के लिए ऑनलाइन अप्लाई कैसे करें? 

अगर आप इसे ऑनलाइन अप्लाई करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए आसान स्टेप्स को फॉलो करें:

बैंक की वेबसाइट या ऐप पर जाएं

  • अपने लोन प्रदाता या बैंक की ऑफिसियल वेबसाइट या मोबाइल ऐप को खोलें।
  • साइन अप करें, अगर पहले से अकाउंट है, तो लॉग इन करें। नहीं तो नया अकाउंट बनाएं।

 कस्टमर सपोर्ट सेक्शन देखें

  • वेबसाइट या ऐप पर ‘Customer Support’ या ‘Contact Us’ सेक्शन पर जाएं।
  • यहां आपको “Loan Settlement” से संबंधित विकल्प मिल सकता है, जैसे:
  • लोन से जुड़ी शिकायत दर्ज करना।
  • Loan Settlement के लिए रिक्वेस्ट फॉर्म।

सेटलमेंट करने के लिए रिक्वेस्ट फॉर्म भरें

  • “Loan Settlement Request” विकल्प चुनें।
  • मांगी गई जानकारी भरें, जैसे:
  • आपका नाम
  • लोन अकाउंट नंबर
  • ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर
  • कारण (क्यों आप सेटलमेंट करना चाहते हैं, जैसे वित्तीय समस्या या आय में कमी)।

जरूरी दस्तावेजो को अपलोड करें

  • अपनी मौजूदा वित्तीय स्थिति को दिखाने वाले दस्तावेज अपलोड करें, जैसे:
  • इनकम सर्टिफिकेट या सैलरी स्लिप
  • बैंक स्टेटमेंट
  • कोई अन्य प्रमाण जो आपकी समस्या को स्पष्ट करे।
  • सभी दस्तावेज स्कैन करके सही फॉर्मेट में अपलोड करें (PDF या JPEG)।

सबमिट करें और बैंक की तरफ से जवाब आने का इंतजार करें

  • फॉर्म सबमिट करने के बाद, बैंक आपकी रिक्वेस्ट की जांच करेगा।
  • आमतौर पर बैंक 7-10 वर्किंग डेज़ में आपसे संपर्क करता है। वे ईमेल, कॉल, या मैसेज के जरिए सेटलमेंट की जानकारी देंगे।

बैंक के ऑफर को समझें

  • बैंक आपके बकाया राशि का एक हिस्सा माफ करने का प्रस्ताव देगा। इसे ध्यान से पढ़ें।
  • अगर आपको ऑफर स्वीकार है, तो आगे बढ़ें। नहीं तो और बातचीत करें।

भुगतान करें

  • बैंक द्वारा तय की गई सेटलमेंट राशि को ऑनलाइन पेमेंट मोड के जरिए चुकाएं।
  • बैंक आपको पेमेंट का कन्फर्मेशन देगा और आपका लोन खाता बंद कर देगा।

Loan Settlement करने से क्रेडिट स्कोर पर क्या असर पड़ता है?

इसका असर निम्नलिखित तरीकों से देखा जा सकता है:

  • Loan Settlement की प्रक्रिया के बाद, आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में यह जानकारी दर्ज हो जाती है, कि आपने अपना कर्ज “सेटल” किया है। यह एंट्री आपके क्रेडिट इतिहास में 7 साल तक बनी रहती है और इसे लेंडर्स या अन्य क्रेडिटर्स द्वारा नकारात्मक रूप में देखा जा सकता है, जो भविष्य में कर्ज लेने की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है।
  • चूंकि Loan Settlement का मतलब होता है कि आपने पूरा कर्ज चुकाया नहीं है, भविष्य में जब आप नया कर्ज लेने की कोशिश करेंगे, तो बैंक आपके क्रेडिट स्कोर और रिपोर्ट को देखकर आपके आवेदन को अस्वीकार कर सकते हैं या आपको उच्च ब्याज दरों पर कर्ज दे सकते हैं।
  • Loan Settlement करने के बाद, अगर आपके पास कोई क्रेडिट कार्ड या अन्य क्रेडिट लाइन है, तो आपके क्रेडिट लिमिट को कम किया जा सकता है, क्योंकि क्रेडिटर्स को लगता है कि आप ज्यादा जोखिम वाले ग्राहक हो सकते हैं।
  • अगर आपका क्रेडिट स्कोर गिरता है, तो आपके लिए लोन, क्रेडिट कार्ड, या किसी अन्य प्रकार की क्रेडिट सुविधा प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। इससे आपकी वित्तीय स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है, खासकर अगर आपको भविष्य में किसी वित्तीय आपातकाल का सामना करना पड़े।
  • जब आप अपने बैंक के साथ Loan Settlement के लिए समझौता करते हैं, तो आप पूरी उधारी का भुगतान नहीं कर रहे होते हैं, बल्कि एक निश्चित राशि का भुगतान कर रहे होते हैं जो मूल राशि से कम होती है। इसे क्रेडिट ब्यूरो द्वारा नकारात्मक रूप में देखा जाता है, क्योंकि यह दर्शाता है कि आप अपने कर्ज को चुकाने में असमर्थ रहे हैं। नतीजतन, आपका क्रेडिट स्कोर गिर सकता है।

Loan Settlement की सर्विस को कैसे चुने? 

यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देने की जरुरत है, जो आपको सही Loan Settlement सर्विस चुनने में मदद करेंगे:

सर्विस प्रदाता की प्रमाणिकता को चेक करें

सेटलमेंट की सर्विस को लेने से पहले, यह सुनिश्चित करें कि जिस सर्विस प्रदाता से आप मदद ले रहे हैं, वह वित्तीय संस्थाओं और बैंकों के साथ रजिस्टर्ड और प्रमाणित हो। एक भरोसेमंद सर्विस प्रदाता ही आपको सही मार्गदर्शन और सहायता प्रदान कर सकता है। ऑनलाइन रिव्यू और ग्राहक की फीडबैक देखना एक अच्छा तरीका हो सकता है।

सेवा शुल्क और अन्य खर्चों की भी जांच करें

कई सर्विस प्रदाता सेवा शुल्क भी लेते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि शुल्क ज्यादा न हो और कोई छिपे हुए खर्च न हों। सर्विस प्रदाता से पहले से समझौता करें कि कौन सी सेवाएं मुफ्त हैं और किनके लिए आपको अतिरिक्त भुगतान करना होगा।

सेटलमेंट प्रक्रिया को समझें

सर्विस प्रदाता द्वारा दी जाने वाली सेटलमेंट की प्रक्रिया को ध्यान से समझें। क्या वे आपकी पूरी स्थिति को समझते हैं और बैंक के साथ बातचीत करने के लिए आपको बेहतर समाधान प्रदान करते हैं? एक अच्छा प्रदाता आपको कागजात और प्रक्रिया से पूरी जानकारी देगा, ताकि आप पूरी प्रक्रिया को सही तरीके से समझ सकें।

हमारी सेवा के साथ जुड़े 

अगर आप भी कर्ज के जाल में फंस गए हैं और आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं और Loan Settlement का रास्ता अपनाना चाहते है तो आप हमारी Loan Settlement की सेवा के लिए आवेदन कर सकते हैं। हम आपके लोन का सेटलमेंट करने में आपकी सहयता कर्नेगे। इसके साथ ही हम आपको 6 – 8 महीने के अंदर लोन के बोझ से राहत प्रदान करवाते हैं। अगर आपको हमारी सेवा के बारे में और ज्यादा जानकारी प्राप्त करनी हैं तो आप हमें सपर्क कर सकते हैं। 

Loan Settlement होने में कितना समय लगता है? 

सेटलमेंट की प्रक्रिया का समय अलग – अलग कारकों पर भी निर्भर करता है, जैसे आपके बैंक या लोन देने वाली संस्था की पॉलिसी, बकाया राशि, और आप दोनों के बीच बातचीत। आमतौर पर यह प्रक्रिया 1 से 3 महीने तक का समय ले सकती है।

सेटलमेंट की प्रक्रिया में सबसे पहला कदम बैंक से बातचीत करना होता है, जहां आप अपनी मुश्किलों और भुगतान की स्थिति के बारें में बैंक को समझाते हैं। इसके बाद, बैंक आपकी स्थिति के आधार पर एक सेटलमेंट का ऑफर देता है। अगर आप उस ऑफर को स्वीकार करते हैं, तो बैंक को तय समय सीमा के भीतर भुगतान करना होता है। फिर बैंक लोन को सेटल के रूप में रिपोर्ट करता है, जो कुछ समय ले सकता है।

इस पूरी प्रक्रिया में जितना ज्यादा समय लगेगा, उतना ही आपके CIBIL स्कोर पर प्रभाव डाल सकता है, इसलिए जल्दी से जल्दी समाधान तलाशना बेहतर रहता है।

Loan Settlement करने के फायदे और नुक्सान क्या होते हैं? 

इसके निम्नलिखित फायदे और नुकसान होते हैं:

फायदे 

  • Loan Settlement के माध्यम से, कर्जदार को अपने कर्ज का कुछ हिस्सा माफ करवाने का मौका मिलता है।
  • यह उसकी वित्तीय स्थिति को सुधारने में मदद करता है और उसे भारी वित्तीय बोझ से राहत दिलवाता है।
  • हालांकि Loan Settlement करने से कर्जदार का क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है, लेकिन समय पर और सही तरीके से समझौते का पालन करने से वह अपने क्रेडिट स्कोर को धीरे-धीरे सुधार सकता है।
  • Loan Settlement करने से कर्जदार की वित्तीय स्थिति में सुधार होता है।
  • Loan Settlement करने से आप अपनी आय और लागत को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकते हैं और भविष्य में वित्तीय संकट से बच सकते हैं।
  • कर्ज का भारी बोझ अक्सर मानसिक तनाव का कारण बनता है। Loan Settlement से कर्जदार को इस तनाव से राहत मिलती है और वह अपने जीवन में मानसिक शांति पा सकता है।

नुक्सान 

  • Loan Settlement के बाद, कर्जदार का क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है।
  • Loan Settlement भविष्य में नए कर्ज लेने या क्रेडिट कार्ड प्राप्त करने में कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है।
  • Loan Settlement के कारण, कर्जदार के बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं।
  • भविष्य में, कर्जदार को इन संस्थानों से कर्ज प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है।
  • Loan Settlement के माध्यम से, कर्जदार  का पूरा लोन माफ नहीं होता है। उसे अभी भी कुछ राशि का भुगतान करना होता है, जो उसकी वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
  • Loan Settlement के दौरान, बैंक और कर्जदार  के बीच जो समझौता होता है, उसमें कई शर्तें होती हैं। कर्जदार  को इन शर्तों का पालन करना जरूरी होता है, जिससे उसकी स्वतंत्रता सीमित हो सकती है।

Loan Settlement का Legal Process क्या होता है? 

हालांकि, यह एक कानूनी प्रक्रिया होती है और इसे करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है।

1. डिफॉल्ट होने पर बैंक की कार्रवाई

अगर आप लगातार 3 से 6 महीनों तक लोन की ईएमआई नहीं चुका पाते हैं, तो बैंक इसे NPA (Non-Performing Asset) घोषित कर सकता है। इसके बाद, बैंक आपके खिलाफ वसूली की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।

2. बैंक से Loan Settlement का अनुरोध करें

अगर आप आर्थिक रूप से कमजोर हैं और पूरी बकाया राशि चुकाने में असमर्थ हैं, तो आप One Time Settlement (OTS) या Negotiated Settlement का अनुरोध कर सकते हैं।

3. बैंक द्वारा सेटलमेंट प्रस्ताव (Settlement Offer) दिया जाता है

बैंक आपकी स्थिति की जांच करने के बाद एक Settlement Offer देता है, जिसमें यह तय किया जाता है कि आपको कुल कितनी राशि का भुगतान करना होगा।

4. सेटलमेंट समझौता (Settlement Agreement) पर हस्ताक्षर करें

अगर आप बैंक द्वारा दिए गए प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं, तो आपको एक लिखित समझौते (Written Agreement) पर हस्ताक्षर करना होगा। इसमें यह उल्लेख किया जाएगा कि सेटलमेंट के बाद बैंक आपके खिलाफ कोई और कानूनी कार्रवाई नहीं करेगा।

5. सेटलमेंट राशि का भुगतान करें

समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, आपको तय समय सीमा में सेटलमेंट राशि (Settlement Amount) का भुगतान करना होता है। भुगतान आमतौर पर एकमुश्त (Lump Sum) किया जाता है।

6. No Dues Certificate (NOC) प्राप्त करें

जब आप सेटलमेंट राशि का भुगतान कर देते हैं, तो बैंक को आपको एक No Dues Certificate (NOC) जारी करना होता है, जिससे यह प्रमाणित हो कि अब आपका लोन पूरी तरह से सेटल हो गया है। बिना NOC के Loan Settlement अधूरा माना जाता है, इसलिए इसे प्राप्त करना बहुत जरूरी है।

Loan Settlement करते समय ध्यान रखने योग्य बातें कौनसी हैं?

  • बैंक के साथ बातचीत करें और एक उचित समाधान निकालें।
  • Loan Settlement की प्रक्रिया लिखित रूप में करवाएं, ताकि भविष्य में आपको कोई परेशानी न हो।
  • सेटलमेंट के बाद CIBIL रिपोर्ट में अपडेट करवाना न भूलें।
  • जरुरत पड़ने पर किसी वित्तीय सलाहकार या वकील की मदद लें।

कौनसी बैंकिंग पॉलिसी Loan Settlement को Affect करती है?

आइए विस्तार से समझते हैं कि कौन-कौन सी बैंकिंग पॉलिसियाँ (Banking Policies) Loan Settlement को प्रभावित करती हैं।

RBI की Prudential Norms और Loan Restructuring Guidelines

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) समय-समय पर Prudential Norms on Income Recognition, Asset Classification and Provisioning (IRACP) जारी करता है। इसके अंतर्गत:

  • जब कोई खाता NPA (Non-Performing Asset) बन जाता है (यानी 90 दिनों तक EMI नहीं चुका पाता हैं), तब बैंक को उसे Default मानकर कार्रवाई करनी होती है।
  • RBI ने loan restructuring और one-time settlement (OTS) के लिए गाइडलाइंस भी जारी की हैं, जिनका पालन हर बैंक को करना जरूरी होता है।
  • इससे यह तय होता है कि किन परिस्थितियों में सेटलमेंट संभव है और किन मामलों में लोन को वसूलने की कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाए।

Bank की Internal Credit Policy

हर बैंक की अपनी अलग क्रेडिट पॉलिसी होती है जो बताती है:

  • सेटलमेंट के लिए ग्राहक को कौन-कौन से दस्तावेज़ देने होंगे।
  • सेटलमेंट की राशि क्या होगी और उसमें कितनी छूट दी जा सकती है।
  • ग्राहक की आय, रोजगार की स्थिति, और भुगतान इतिहास को कैसे आँका जाएगा।
  • इसके आधार पर बैंक यह तय करता है कि केस genuine है या जानबूझकर किया गया default है।

Loan Recovery Policy

हर बैंक के पास Loan Recovery Policy होती है जिसमें बताया गया है कि लोन डिफॉल्टर से रकम कैसे वसूली जाएगी:

  • क्या पहले फोन कॉल और नोटिस भेजे जाएंगे?
  • कब Recovery Agent भेजे जाएंगे?
  • क्या Loan Settlement की पेशकश की जाएगी?
  • यह नीति तय करती है कि डिफॉल्ट के बाद सेटलमेंट की प्रक्रिया कब और कैसे शुरू होगी।

One Time Settlement (OTS) Scheme

बैंकों की तरफ से समय-समय पर OTS स्कीम चलाई जाती है। यह एक नीतिगत कदम होता है, जिसमें:

  • डूबे हुए लोन खातों को क्लोज करने के लिए सीमित समय तक छूट दी जाती है।
  • यह स्कीम NPA खातों के लिए होती है।
  • इसका उद्देश्य है बैंकों की बैलेंस शीट को सुधारना और बकाया लोन की वसूली करना।

Fair Practices Code by RBI

RBI ने सभी बैंकों के लिए Fair Practices Code लागू किया है, जिसके अनुसार:

  • सेटलमेंट प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए।
  • ग्राहक को पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।
  • जोर-जबरदस्ती से वसूली नहीं की जा सकती हैं।

Credit Bureau Reporting Policy

Loan Settlement के बाद बैंक ग्राहक की जानकारी CIBIL या अन्य क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्ट करता है:

  • अगर लोन “Settled” दिखाया जाता है तो इसका असर ग्राहक के क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है।
  • यह पॉलिसी तय करती है कि कितने वर्षों तक सेटलमेंट की जानकारी क्रेडिट रिपोर्ट में रहेगी।

SARFAESI Act और Insolvency Code

  • अगर ग्राहक बड़ा डिफॉल्टर है, तो बैंक SARFAESI Act, 2002 या IBC (Insolvency & Bankruptcy Code, 2016) के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकता है।
  • इससे पहले आमतौर पर Loan Settlement का प्रस्ताव दिया जाता है।
  • लेकिन यदि सेटलमेंट नहीं होता हैं, तो संपत्ति कुर्की और नीलामी का रास्ता अपनाया जाता है।

निष्कर्ष

आखिर में आपको यह समझना बहुत ही जरूरी है कि Loan Settlement सिर्फ एक आपसी समझौता नहीं हैं, बल्कि यह पूरी तरह से अलग – अलग बैंकिंग पॉलिसियों और नियमों पर आधारित प्रक्रिया है। जब कोई उधारकर्ता अपने लोन को चुका पाने में असमर्थ होता है, तब बैंक उसे राहत देने के लिए सेटलमेंट की सुविधा जरूर देता है, लेकिन यह राहत बिना शर्त नहीं होती। इसके पीछे बैंक की आंतरिक क्रेडिट पॉलिसी, RBI द्वारा निर्धारित नियम, कर्ज वसूली की रणनीतियाँ, ग्राहक की भुगतान करने की क्षमता और क्रेडिट इतिहास जैसे कई फैक्टर काम करते हैं।

इसके अलावा, यह भी जानना जरूरी है कि Loan Settlement करने से आपको अस्थायी राहत तो मिल सकती है, लेकिन इसके लम्बे समय के परिणाम आपके क्रेडिट स्कोर और भविष्य के लोन पात्रता (loan eligibility) पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, सेटलमेंट के बाद CIBIL रिपोर्ट में “Settled” या “Written Off” जैसा स्टेटस जुड़ जाता है, जो कि भविष्य में किसी भी प्रकार का लोन लेने या क्रेडिट कार्ड प्राप्त करने में मुश्किल पैदा कर सकता है।

दूसरी ओर, अगर आपका केस वाकई में genuine है, जैसे बीमारी, नौकरी छूटना, या कोई गंभीर आर्थिक संकट, तो बैंक आपकी स्थिति को समझते हुए कुछ राहत देने के लिए तैयार हो सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप समय पर बैंक से संपर्क करें, सभी दस्तावेज़ ईमानदारी से प्रस्तुत करें, और यह दिखाएँ कि आप वास्तव में लोन चुकाना चाहते हैं लेकिन परिस्थितियों के कारण असमर्थ हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’s)

Que: क्या बैंक Loan Settlement करने से इनकार कर सकता है?

Ans: हां, बैंक Loan Settlement करने से इनकार भी कर सकता है अगर उसे लगता है कि उधारकर्ता आर्थिक रूप से लोन चुकाने में सक्षम है। सेटलमेंट बैंक के विवेक पर निर्भर करता है और यह किसी भी ग्राहक को अनिवार्य रूप से उपलब्ध नहीं कराया जाता हैं।

Que: क्या Loan Settlement करने के बाद लोन लेना संभव है?

Ans: हां, लेकिन यह मुश्किल भी हो सकता है। Loan Settlement करने के बाद CIBIL स्कोर कम हो जाता है, जिससे आगे किसी नए लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने में कठिनाई हो सकती है।

Que: क्या सेटलमेंट करने के बाद बैंक मेरे खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई कर सकता है?

Ans: नहीं, अगर आपने सेटलमेंट समझौते (Settlement Agreement) के अनुसार तय राशि चुका दी है और बैंक ने आपको No Dues Certificate (NOC) जारी कर दिया है, तो बैंक आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकता है।

Que: क्या बिना लिखित समझौते के Loan Settlement करना सही है?

Ans: बिल्कुल नहीं! Loan Settlement करने से पहले बैंक से लिखित में सेटलमेंट एग्रीमेंट और बाद में No Dues Certificate (NOC) लेना बहुत जरूरी है। बिना लिखित दस्तावेजों के सेटलमेंट करना भविष्य में समस्याएं पैदा कर सकता है।

Que: क्या Loan Settlement करने से क्रेडिट कार्ड भी बंद हो सकते हैं?

Ans: हां, अगर आपका कोई अन्य क्रेडिट कार्ड है और बैंक को पता चलता है कि आपने Loan Settlement किया है, तो वे आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट कम कर सकते हैं या उसे बंद भी कर सकते हैं।

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