संक्षेप
Loan और Credit Card Settlement से जुड़े मामलों में अक्सर लोग असमंजस में रहते हैं कि सेटलमेंट क्या होता है, इसका क्या असर होता है, और क्या यह विकल्प अपनाना सही रहेगा। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में कुछ जरुरी नए नियम लागू किए हैं ताकि इस पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष और उपभोक्ता के हिसाब बनाया जा सके।
सबसे पहले, RBI ने यह स्पष्ट किया है कि कोई भी बैंक या NBFC सेटलमेंट या वाइऑफराइट ऑफर सिर्फ तभी दे सकता है जब वह उनकी बोर्ड-अप्रूव्ड पॉलिसी का हिस्सा हो। इससे अब सेटलमेंट मनमानी तरीके से नहीं किया जा सकेगा।
इसके साथ ही, बैंक को अब ग्राहक को सेटलमेंट की पूरी जानकारी लिखित रूप में देना अनिवार्य होगा – जैसे कि बकाया राशि, सेटलमेंट राशि, उसके बाद CIBIL स्कोर पर क्या असर होगा इत्यादि। इससे ग्राहक को सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, RBI ने यह भी निर्देश दिया है कि यदि कोई ग्राहक फुल पेमेंट करता है, तो उसे “Settled” नहीं बल्कि “Closed” दर्ज किया जाए। इससे उसका क्रेडिट स्कोर सुरक्षित रहेगा।
परिचय
आज के समय में लोन और क्रेडिट कार्ड हमारी ज़रूरतों का एक अहम हिस्सा बन चुके हैं। कभी घर खरीदने के लिए हो, कभी गाड़ी लेने के लिए, या फिर बच्चों की पढ़ाई के लिए – बैंक और फाइनेंशियल संस्थान बड़ी आसानी से लोन और क्रेडिट कार्ड प्रोवाइड करवा देते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है – नौकरी चली जाती है, व्यापार में घाटा हो जाता है या कोई बड़ी बीमारी आ जाती है।
ऐसी परिस्थिति में लोन या क्रेडिट कार्ड का सेटलमेंट (Settlement) एक विकल्प के रूप में सामने आता है। सेटलमेंट का मतलब है – बैंक और ग्राहक आपस में बैठकर यह तय करें कि कुछ राशि लेकर बैंक उस बकाया लोन या क्रेडिट कार्ड को बंद कर देगा। हालांकि यह विकल्प राहत देने वाला लगता है, लेकिन इसके कुछ गंभीर प्रभाव भी होते हैं, जैसे कि आपका CIBIL स्कोर खराब हो जाना, भविष्य में लोन मिलने में परेशानी होना आदि।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में कुछ नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, ताकि लोन और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी सेटलमेंट की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी, सुरक्षित हो सके। इन नियमों का उद्देश्य है कि ग्राहक और बैंक दोनों के बीच भरोसे का रिश्ता बना रहे और ग्राहक को गुमराह या परेशान न किया जाए।
आज के इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि RBI के ये नए नियम क्या हैं, कैसे ये नियम लोन व क्रेडिट कार्ड धारकों के हित में हैं, और किस प्रकार आप इन नियमों का लाभ उठाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं। तो आइए, समझते हैं RBI के नए नियमों की पूरी जानकारी आसान भाषा में – ताकि आप सही फैसला ले सकें और वित्तीय आज़ादी की ओर कदम बढ़ा सकें।
Loan Settlement क्या होता हैं?
यह एक ऐसी वित्तीय प्रक्रिया होती है जिसमें बैंक या वित्तीय संस्था लोन लेने वाले व्यक्ति को पूरी बकाया लोन की राशि को चुकाने के बजाय कम राशि देकर लोन निपटाने का मौका देती है। यह सुविधा उन लोगों के लिए होती है जो किसी कारण से अपना लोन समय पर नहीं चुका पाते हैं और लगातार डिफॉल्ट कर रहे होते हैं।
सेटलमेंट के तहत बैंक एकमुश्त राशि (लंपसम अमाउंट) पर सहमति बना सकता है, जिससे लोन बंद हो जाता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि Loan Settlement करने से आपका CIBIL Score प्रभावित हो सकता है, जिससे भविष्य में आपको लोन लेने में मुश्किल हो सकती है। इसलिए, इसे अंतिम विकल्प के रूप में ही अपनाना चाहिए।
Loan Settlement और Credit Card Loan Settlement में क्या अंतर है?
हालांकि, Loan Settlement और Credit Card Loan Settlement दोनों का उद्देश्य कर्जदार को राहत देना होता है, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी होते हैं।
अंतर के बिंदु | Loan Settlement | Credit Card Loan Settlement |
प्रकार | किसी भी प्रकार के लोन (पर्सनल, होम, कार, एजुकेशन, आदि) का निपटारा | केवल क्रेडिट कार्ड के बकाया राशि का निपटारा |
सेटलमेंट प्रक्रिया | बैंक एकमुश्त राशि को तय करता है, जिसे चुकाने पर लोन सेटल हो जाता है। | क्रेडिट कार्ड कंपनी एक तय की गई राशि पर समझौता करती है। |
CIBIL Score पर प्रभाव | CIBIL Score 50-100 पॉइंट तक गिर सकता है और भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है | CIBIL Score पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है, और नए क्रेडिट कार्ड पाना मुश्किल हो सकता है। |
भविष्य में लोन मिलने की संभावना | होम लोन, कार लोन या अन्य लोन प्राप्त करने में समस्या आ सकती है | क्रेडिट कार्ड कंपनियां कार्ड जारी करने से इनकार कर सकती हैं। |
Loan Settlement करने के लिए कौनसे दस्तावेजों की जरुरत होती हैं?
निम्नलिखित दस्तावेजों की जरुरत होती हैं:
- आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, या ड्राइविंग लाइसेंस आदि।
- सैलरी स्लिप, आयकर रिटर्न, बैंक स्टेटमेंट आदि।
- Loan Settlement लेटर, कर्ज विवरण, भुगतान रसीदें आदि।
- निवेश के दस्तावेज़, संपत्ति के दस्तावेज़, बीमा पॉलिसी आदि।
Loan Settlement करने के लिए ऑनलाइन अप्लाई कैसे करें?
अगर आप इसे ऑनलाइन अप्लाई करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए आसान स्टेप्स को फॉलो करें:
बैंक की वेबसाइट या ऐप पर जाएं
- अपने लोन प्रदाता या बैंक की ऑफिसियल वेबसाइट या मोबाइल ऐप को खोलें।
- साइन अप करें, अगर पहले से अकाउंट है, तो लॉग इन करें। नहीं तो नया अकाउंट बनाएं।
कस्टमर सपोर्ट सेक्शन देखें
- वेबसाइट या ऐप पर ‘Customer Support’ या ‘Contact Us’ सेक्शन पर जाएं।
- यहां आपको “Loan Settlement” से संबंधित विकल्प मिल सकता है, जैसे:
- लोन से जुड़ी शिकायत दर्ज करना।
- Loan Settlement के लिए रिक्वेस्ट फॉर्म।
सेटलमेंट करने के लिए रिक्वेस्ट फॉर्म भरें
- “Loan Settlement Request” विकल्प चुनें।
- मांगी गई जानकारी भरें, जैसे:
- आपका नाम
- लोन अकाउंट नंबर
- ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर
- कारण (क्यों आप सेटलमेंट करना चाहते हैं, जैसे वित्तीय समस्या या आय में कमी)।
जरूरी दस्तावेजो को अपलोड करें
- अपनी मौजूदा वित्तीय स्थिति को दिखाने वाले दस्तावेज अपलोड करें, जैसे:
- इनकम सर्टिफिकेट या सैलरी स्लिप
- बैंक स्टेटमेंट
- कोई अन्य प्रमाण जो आपकी समस्या को स्पष्ट करे।
- सभी दस्तावेज स्कैन करके सही फॉर्मेट में अपलोड करें (PDF या JPEG)।
सबमिट करें और बैंक की तरफ से जवाब आने का इंतजार करें
- फॉर्म सबमिट करने के बाद, बैंक आपकी रिक्वेस्ट की जांच करेगा।
- आमतौर पर बैंक 7-10 वर्किंग डेज़ में आपसे संपर्क करता है। वे ईमेल, कॉल, या मैसेज के जरिए सेटलमेंट की जानकारी देंगे।
बैंक के ऑफर को समझें
- बैंक आपके बकाया राशि का एक हिस्सा माफ करने का प्रस्ताव देगा। इसे ध्यान से पढ़ें।
- अगर आपको ऑफर स्वीकार है, तो आगे बढ़ें। नहीं तो और बातचीत करें।
भुगतान करें
- बैंक द्वारा तय की गई सेटलमेंट राशि को ऑनलाइन पेमेंट मोड के जरिए चुकाएं।
- बैंक आपको पेमेंट का कन्फर्मेशन देगा और आपका लोन खाता बंद कर देगा।
Loan Settlement का CIBIL Score पर कितना असर पड़ता है?
Loan Settlement का आपके CIBIL Score पर सीधा और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जब कोई व्यक्ति किसी बैंक या NBFC से लोन लेता है और किसी कारणवश पूरी राशि चुकाने में असमर्थ होता है, तो बैंक उसे एक समझौता करने का मौका देता है, जिसे Loan Settlement कहा जाता है।
हालांकि, Loan Settlement और Loan Closure में बहुत बड़ा अंतर होता है। अगर आप अपने लोन की पूरी राशि चुकाकर उसे बंद करते हैं, तो यह आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में “Closed” के रूप में दर्ज होता है, जिससे आपका CIBIL Score बेहतर होता है। लेकिन अगर आपने लोन की कुछ राशि बैंक के साथ समझौते के तहत माफ करवा ली है, तो इसे “Settled” के रूप में रिपोर्ट किया जाता है, जो आपके क्रेडिट स्कोर को नुकसान पहुंचा सकता है।
Loan Settlement करने से CIBIL Score पर पड़ने वाले प्रभाव कौनसे हैं?
- जब बैंक या NBFC CIBIL को रिपोर्ट करता है कि आपका लोन “Settled” है, तो आपका स्कोर तुरंत गिर जाता है। गिरावट कितनी होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका पहले का स्कोर कितना अच्छा था।
- बैंक और फाइनेंशियल संस्थान ऐसे ग्राहकों को “हाई-रिस्क” कैटेगरी में रखते हैं, जिन्होंने अपना लोन सेटल किया है। इसका मतलब यह है कि भविष्य में अगर आप किसी भी प्रकार का लोन (पर्सनल, होम, कार, एजुकेशन) लेने की कोशिश करेंगे, तो आपका आवेदन अस्वीकार किया जा सकता है।
- अगर आपने लोन सेटल किया है, तो भविष्य में किसी भी बैंक से क्रेडिट कार्ड प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। बैंक आपकी क्रेडिट हिस्ट्री को देखते हैं और यदि उन्हें “Settled” स्टेटस दिखता है, तो वे आपको क्रेडिट कार्ड देने से इनकार कर सकते हैं।
- अगर किसी बैंक ने आपको लोन देने का फैसला किया भी, तो आपको बहुत ज्यादा ब्याज दर (High Interest Rate) पर लोन मिल सकता है। यह इसलिए क्योंकि बैंक आपको जोखिम भरा ग्राहक मानते हैं और अपने पैसे की सुरक्षा के लिए ज्यादा ब्याज दर लगाते हैं।
- Loan Settlement की जानकारी आपकी CIBIL रिपोर्ट में कम से कम 7 साल तक बनी रहती है। इसका मतलब है कि भले ही आप बाद में अपना वित्तीय व्यवहार सुधार लें, लेकिन आपका सेटलमेंट रिकॉर्ड बैंकों को दिखता रहेगा और आपकी क्रेडिट योग्यता को प्रभावित कर सकता है।
Loan Settlement के बाद CIBIL Score को सुधारने के क्या तरीके हैं?
अगर आपने लोन सेटल कर लिया है और अब CIBIL Score सुधारना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कदम उठा सकते हैं:
- समय पर सभी लोन और क्रेडिट कार्ड के बिल का पूरा भुगतान करें।
- अगर संभव हो तो बैंक से संपर्क करके “Settled” स्टेटस को “Closed” में बदलवाने” की कोशिश करें।
- क्रेडिट कार्ड का सीमित इस्तेमाल करें और समय पर पूरा भुगतान करें।
- कोई छोटा लोन लें और उसे नियमित रूप से चुकाएं ताकि नया अच्छा क्रेडिट इतिहास बन सके।
- CIBIL रिपोर्ट को नियमित रूप से चेक करें और किसी भी गलती को सुधारने के लिए CIBIL को अनुरोध दें।
Loan Settlement होने में कितना समय लगता है?
सेटलमेंट की प्रक्रिया का समय अलग – अलग कारकों पर भी निर्भर करता है, जैसे आपके बैंक या लोन देने वाली संस्था की पॉलिसी, बकाया राशि, और आप दोनों के बीच बातचीत। आमतौर पर यह प्रक्रिया 1 से 3 महीने तक का समय ले सकती है।
सेटलमेंट की प्रक्रिया में सबसे पहला कदम बैंक से बातचीत करना होता है, जहां आप अपनी मुश्किलों और भुगतान की स्थिति के बारें में बैंक को समझाते हैं। इसके बाद, बैंक आपकी स्थिति के आधार पर एक सेटलमेंट का ऑफर देता है। अगर आप उस ऑफर को स्वीकार करते हैं, तो बैंक को तय समय सीमा के भीतर भुगतान करना होता है। फिर बैंक लोन को सेटल के रूप में रिपोर्ट करता है, जो कुछ समय ले सकता है।
इस पूरी प्रक्रिया में जितना ज्यादा समय लगेगा, उतना ही आपके CIBIL Score पर प्रभाव डाल सकता है, इसलिए जल्दी से जल्दी समाधान तलाशना बेहतर रहता है।
Loan Settlement होने के बाद NOC कैसे प्राप्त करें?
आइए आसान भाषा में जानें कि आप Loan Settlement के बाद NOC कैसे प्राप्त कर सकते हैं।
1. सबसे पहले – Settlement की पुष्टि प्राप्त करें
सबसे पहले, जब भी आप लोन का सेटलमेंट करते हैं, तो उस पर बैंक या फाइनेंशियल संस्था से एक लिखित सेटलमेंट लेटर जरूर लें। यह लेटर इस बात का प्रमाण होता है कि आपने तय की गई राशि चुका दी है और बैंक ने इसे स्वीकार कर लिया है।
2. इसके बाद – NOC के लिए आवेदन करें
सेटलमेंट लेटर प्राप्त करने के बाद अगला कदम होता है बैंक से NOC की मांग करना। इसके लिए आप बैंक को एक औपचारिक पत्र या ईमेल लिख सकते हैं जिसमें आप NOC जारी करने का अनुरोध करें।
3. साथ ही – सभी दस्तावेज अटैच करें
जब आप आवेदन भेजते हैं, तो उसमें नीचे दिए गए दस्तावेज़ अटैच करना न भूलें:
- सेटलमेंट लेटर की कॉपी
- भुगतान की रसीद या ट्रांजैक्शन डिटेल
- आपका वैध आईडी प्रूफ
- लोन अकाउंट नंबर
- संपर्क जानकारी
4. फिर – बैंक से फॉलोअप करें
कई बार बैंक NOC भेजने में देर कर सकता है। ऐसे में, आपको 7-10 दिनों के अंदर बैंक से संपर्क करके फॉलोअप करना चाहिए। आप फोन कॉल, ईमेल या शाखा में जाकर स्थिति की जानकारी ले सकते हैं।
5. एक बार जब NOC मिल जाए – ध्यान से जांचें
जैसे ही आपको NOC मिल जाए, ध्यान से इसकी जांच करें। यह सुनिश्चित करें कि इसमें निम्नलिखित जानकारी सही है:
- आपका नाम और लोन अकाउंट नंबर
- भुगतान की पुष्टि
- “No Dues” या “No Objection” का स्पष्ट उल्लेख
- बैंक की मुहर और अधिकृत हस्ताक्षर
- अगर कोई गलती हो, तो तुरंत बैंक से संपर्क करें और सुधार करवाएं।
Loan Settlement करने के फायदे और नुक्सान क्या होते हैं?
इसके निम्नलिखित फायदे और नुकसान होते हैं:
फायदे
- Loan Settlement करने से आप अपनी आय और लागत को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकते हैं और भविष्य में वित्तीय संकट से बच सकते हैं।
- कर्ज का भारी बोझ अक्सर मानसिक तनाव का कारण बनता है। Loan Settlement से कर्जदार को इस तनाव से राहत मिलती है और वह अपने जीवन में मानसिक शांति पा सकता है।
- Loan Settlement के माध्यम से, कर्जदार को अपने कर्ज का कुछ हिस्सा माफ करवाने का मौका मिलता है।
- यह उसकी वित्तीय स्थिति को सुधारने में मदद करता है और उसे भारी वित्तीय बोझ से राहत दिलवाता है।
- हालांकि Loan Settlement करने से कर्जदार का CIBIL Score प्रभावित हो सकता है, लेकिन समय पर और सही तरीके से समझौते का पालन करने से वह अपने CIBIL Score को धीरे-धीरे सुधार सकता है।
- Loan Settlement करने से कर्जदार की वित्तीय स्थिति में सुधार होता है।
नुक्सान
- Loan Settlement के दौरान, बैंक और कर्जदार के बीच जो समझौता होता है, उसमें कई शर्तें होती हैं। कर्जदार को इन शर्तों का पालन करना जरूरी होता है, जिससे उसकी स्वतंत्रता सीमित हो सकती है।
- Loan Settlement के बाद, कर्जदार का CIBIL Score प्रभावित हो सकता है।
- Loan Settlement भविष्य में नए कर्ज लेने या क्रेडिट कार्ड प्राप्त करने में कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है।
- Loan Settlement के कारण, कर्जदार के बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं।
- भविष्य में, कर्जदार को इन संस्थानों से कर्ज प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है।
- Loan Settlement के माध्यम से, कर्जदार का पूरा लोन माफ नहीं होता है। उसे अभी भी कुछ राशि का भुगतान करना होता है, जो उसकी वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
क्या Loan Settlement सही विकल्प है?
Loan Settlement एक ऐसा विकल्प होता है जो तब सामने आता है जब कोई कर्जदार (borrower) लोन की EMI को चुकाने में असमर्थ होता है। ऐसे में बैंक या वित्तीय संस्थान ग्राहक को एक मौका देता है कि वह एक तय राशि देकर लोन को ‘सेटल’ कर ले, यानी बाकी बची रकम को माफ कर दिया जाए। यह विकल्प सुनने में भले ही आसान लगे, लेकिन इसके पीछे कई जरुरी बातें होती हैं, जिन पर सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए।
Loan Settlement सही विकल्प कब साबित हो सकता है?
1. गंभीर आर्थिक संकट में:
अगर आपकी नौकरी चली गई है, गंभीर बीमारी हो गई है या कोई ऐसी परिस्थिति आ गई है जहां आपकी आय पूरी तरह रुक गई है, तो Loan Settlement एक आपातकालीन समाधान साबित हो सकता है।
2. जब कोई अन्य विकल्प नहीं बचा हो:
अगर आप लोन रिस्ट्रक्चरिंग, ईएमआई में राहत या भुगतान की समयसीमा बढ़ाने जैसे अन्य उपाय आजमा चुके हैं और फिर भी लोन चुकाना संभव नहीं है, तो यह विकल्प अपनाया जा सकता है।
लेकिन क्यों यह हमेशा सही विकल्प नहीं होता?
1. CIBIL स्कोर पर बुरा असर:
Loan Settlement करने के बाद क्रेडिट रिपोर्ट में “Settled” स्टेटस लिखा जाता है, जो बताता है कि आपने पूरा लोन नहीं चुकाया। यह भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड लेने में दिक्कत पैदा कर सकता है।
2. भविष्य में लोन रिजेक्शन:
बैंक आपको अगली बार लोन देने में झिझक सकते हैं क्योंकि उन्हें आप पर भरोसा नहीं रहेगा कि आप पूरा भुगतान कर पाएंगे।
3. कानूनी जोखिम भी हो सकता है:
कुछ मामलों में बैंक सेटलमेंट के बाद भी कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं, खासकर जब सही तरीके से समझौता नहीं हुआ हो।
Experts क्या कहते हैं?
वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि Loan Settlement को अंतिम विकल्प की तरह देखा जाना चाहिए। अगर संभव हो तो पहले अपने बैंक से बात करें, नई भुगतान योजना बनवाएं, या कुछ समय की राहत लें। Settlement तभी करें जब आपके पास कोई अन्य विकल्प न हो और स्थिति सच में गंभीर हो।
Loan और Credit Card Settlement के लिए RBI के नए नियम क्या है?
आइए विस्तार से जानते हैं कि RBI के नए नियम क्या हैं और ये आपके लिए क्यों जरूरी हैं:
1. सेटलमेंट ऑफर देना अब एक पॉलिसी के तहत होगा
RBI ने निर्देश दिए हैं कि बैंक और NBFC (Non-Banking Financial Companies) अब सेटलमेंट ऑफर या वाइऑफराइट ऑफर (Waiver Offer) केवल अपनी आंतरिक पॉलिसी के तहत ही दे सकते हैं। इसका मतलब यह है कि कोई भी सेटलमेंट या डिस्काउंट बिना लिखित नीति के नहीं दिया जा सकता हैं।
2. बोर्ड-अप्रूव्ड पॉलिसी जरूरी
बैंक को एक सही और पारदर्शी Settlement और Write-Off Policy बनानी होगी, जिसे उनके बोर्ड द्वारा मंजूरी दी गई हो। इस नीति में यह भी बताया जाना चाहिए कि किन मामलों में सेटलमेंट दिया जाएगा और किन मामलों में नहीं।
3. ग्राहक को पूरी जानकारी देना अनिवार्य
सेटलमेंट या वाइऑफराइट की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ग्राहक को लिखित रूप में पूरी जानकारी देना जरूरी है:
- सेटलमेंट की वजह
- बकाया राशि
- सेटलमेंट के बाद CIBIL स्कोर पर असर
- सेटलमेंट की शर्तें
4. CIBIL रिपोर्टिंग में पारदर्शिता
अगर किसी ग्राहक ने लोन या क्रेडिट कार्ड सेटलमेंट कर लिया है, तो बैंक को यह बात क्रेडिट ब्यूरो (जैसे CIBIL) को सही रूप में रिपोर्ट करनी होगी।
उदाहरण: अगर किसी अकाउंट का सेटलमेंट हुआ है, तो उसे “Settled” के रूप में दिखाना होगा, “Closed” या “Paid” नहीं।
5. रिकवरी एजेंट्स के लिए दिशा-निर्देश
RBI ने यह भी कहा है कि रिकवरी एजेंट्स को भेजने से पहले ग्राहक को पूरी जानकारी दी जाए। साथ ही, एजेंट्स की पहचान, समय, तारीख आदि का पूरा रिकॉर्ड होना चाहिए।
6. Settlement या Write-Off का Proper Approval जरूरी
कोई भी सेटलमेंट या Write-Off तभी मान्य होगा जब:
- वह बैंक की नीति के अनुसार हो
- उसके लिए Proper Documentation हो
- उससे संबंधित सभी नियमों का पालन किया गया हो
इन नए नियमों से ग्राहकों को क्या फायदा होगा?
- ट्रांसप्रेंसी बढ़ेगी
- बैंक की मनमानी पर रोक लगेगी
- CIBIL रिपोर्ट में सही जानकारी जाएगी
- कर्ज़दारों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी
- भविष्य में लोन लेने में सुविधा होगी
निष्कर्ष
अब तक आपने जाना कि Loan और Credit Card Settlement से जुड़े RBI के नए नियम क्या हैं और यह किस तरह से ग्राहकों को फायदा पहुंचाते हैं। इन नियमों को समझने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम उठाया है।
पहले जहां बैंक और वित्तीय संस्थाएं अपने स्तर पर निर्णय लेती थीं और कई बार ग्राहकों को बिना जानकारी के सेटलमेंट के लिए मजबूर कर देती थीं, वहीं अब RBI के नए नियमों के आने से पारदर्शिता, जवाबदेही और उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।
इसके साथ ही, यह भी देखा गया है कि बहुत से ग्राहक सेटलमेंट के बाद सोचते हैं कि उन्होंने लोन क्लोज कर दिया है, लेकिन बाद में जब उनका CIBIL स्कोर गिरा हुआ दिखता है, तो उन्हें परेशानी होती है। ऐसे में अब नए नियमों के तहत ग्राहक को पहले से ही सारी जानकारी देना अनिवार्य हो गया है। इससे वह सोच-समझकर निर्णय ले सकेगा और भविष्य में किसी तरह की परेशानी से बच पाएगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’s)
Ans: Loan Settlement के बाद बैंक से NOC प्राप्त करने में आमतौर पर 7 से 10 दिन का समय लगता है।
Ans: नहीं, सभी बैंक Loan Settlement का विकल्प नहीं देते हैं। यह बैंक की नीति और आपके लोन की स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ बैंक इसे “Last Resort” (अंतिम उपाय) के रूप में ही इस्तेमाल करते हैं।
Ans: यह मुश्किल हो सकता है क्योंकि बैंक Settlement को नेगेटिव मार्क मानते हैं। हालांकि, आप सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड (Fixed Deposit के आधार पर मिलने वाला कार्ड) ले सकते हैं और धीरे-धीरे अपनी क्रेडिट हिस्ट्री सुधार सकते हैं।
Ans: सामान्य तौर पर Loan Settlement की एंट्री हटवाई नहीं जा सकती हैं, लेकिन आप बैंक से बातचीत करके इसे “Closed” में बदलवाने की कोशिश कर सकते हैं, जिसके लिए आपको बाकी की राशि चुकानी पड़ सकती है।
Ans: हाँ, Credit Card Loan Settlement का प्रभाव ज्यादा बुरा हो सकता है क्योंकि क्रेडिट कार्ड कंपनियां इसे गंभीरता से लेती हैं और भविष्य में नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से मना कर सकती हैं।