One Time Settlement (OTS) के बाद, बैंक और उधारकर्ता के बीच एक समझौता बनता है। इस समझौते में, उधारकर्ता को एक बार में एक तय रकम देकर लोन का सेटलमेंट कराना होता है। इस समझौते के बाद, उधारकर्ता को रिकवरी एजेंसियों और रिकवरी एजेंटो से छुटकारा मिल जाता है और उसे हर महीने की ई.एम.आई(EMI) का झंझट भी नहीं उठाना पड़ता। हालांकि, लोन सेटलमेंट के बाद भी लोन बंद नहीं होता। अगर उधारकर्ता आर्थिक रूप से सक्षम हो जाता है, तो वह बैंक जाकर बाकी की शेष राशी चुका सकता है और लोन को बंद करवा सकता है।
वन-टाइम सेटलमेंट कब करवाते हैं?
आज के समय में अगर कोई मिडिल-क्लास व्यक्ति कुछ लेने की सोचे जैसे घर या car तो वो इस महंगाई के युग में बिना लोन लिए नही ले सकता। घर के लोन की EMI भी बहूत ज्यादा और लम्बे समय तक होती है। ऐसे में कई लोग EMI नही चूका पाते है, और धीरे-धीरे वह कर्ज में डूब जाता है। ऐसे समय में ही वन-टाइम सेटलमेंट करवाते हैं।
वन-टाइम सेटलमेंट के बारे में समझे
बातचीत की प्रक्रिया: उधारकर्ता/देनदार एकमात्र भुगतान के ज़रिए लोन का निपटान करने की अपना इरादा व्यक्त करके बातचीत शुरू करते हैं। लेनदार-देनदार की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करता है और निर्धारित करता है कि वे OTS के लायक हैं या नहीं। यदि दोनों पक्ष सहमत होते हैं, तो निपटान राशि निर्धारित करने के लिए बातचीत शुरू होती है। बैंक भी समय-समय पर अपनी बैलेंस शीट को साफ करने के संबंध में उधारकर्ताओं को One Time Settlement (OTS) की पेशकश करने के लिए योजनाएँ चलाती रहती हैं।
निपटान राशि: निपटान राशि आम तौर पर कुल बकाया लोन से कम होती है।बैंक देनदारों को तुरंत भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कम राशि की पेशकश कर सकता है। कटौती का बिलकुल सही-सही प्रतिशत अलग-अलग कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि देनदार की आर्थिक परिस्थितियाँ, लोन की आयु और सुरक्षा का मूल्यांकन।
अवधि और भुगतान: वन-टाइम सेटलमेंट के लिए देनदार को बैंक से OTS पत्र जारी करने के लिए, नो-लीन खाते में आमतौर पर 5-10% का टोकन भुगतान करना पड़ता है और भुगतान की अपनी निष्ठा के प्रति सटीकता भी दिखानी पड़ती है।लेन-देन के आकार के आधार पर OTS, 3 महीने से एक वर्ष की समय अवधि के लिए जारी किया जा सकता है। एक बार भुगतान हो जाने के बाद, लोन का निपटान माना जाता है, और देनदार को उस विशेष लोन से संबंधित किसी भी अन्य आर्थिक और कानूनी दायित्व से मुक्त कर दिया जाता है।
लोन समाधान: वन-टाइम सेटलमेंट का उपयोग आम तौर पर गैर-निष्पादित लोनों (एनपीएल) को हल करने के लिए किया जाता है, जहां उधारकर्ता नियमित भुगतान करने में विफल रहे हैं और लोन बकाया हो गया है। OTS स्वीकार करके, लोनदाता लोन वसूली की लंबी और संभावित रूप से महंगी प्रक्रिया से बचता है, जैसे कि कानूनी कार्यवाही या संग्रह एजेंसियों को लोन बेचना।
OTS पत्र : यह सुनिश्चित करने के लिए कि दोनों पक्ष समझौते की शर्तों का पालन करें, बैंक की ओर से उधारकर्ता को एक पत्र जारी किया जाता है। इस पत्र में समझौते की शर्तों, भुगतान की जाने वाली राशि, अवधि और गैर-अनुपालन की स्थिति में किसी भी शर्त या परिणाम का विवरण होता है।
वन-टाइम सेटलमेंट (OTS) के फायदे:
लोन मुक्ति: OTS के तहत बकाया राशि का एक बार भुगतान करने से पूरी लोन मुक्ति मिलती है। यह लोन चुकता करने के लिए एक आसान और समयबद्ध तरीका हो सकता है।
चिंता में कमी: एक बार में बकाया चुकता करने से भविष्य में किसी भी प्रकार की कर्ज की चिंता समाप्त हो जाती है। इससे व्यक्ति या संगठन को मानसिक शांति मिलती है।
संवैधानिक सुलह: OTS आमतौर पर एक समझौते के रूप में होता है, जिसमें एक बार की भुगतान राशि को स्वीकृत किया जाता है। यह एक समझौते के तहत आर्थिक समस्याओं को सुलझाने में मदद करता है।
आर्थिक राहत: OTS के तहत कम राशि चुकता करके बकाया की कुल राशि से राहत प्राप्त की जा सकती है। इससे कर्जदार को अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने का मौका मिलता है।
कर्मचारी और ग्राहकों के साथ संबंध: यदि एक व्यवसाय OTS का उपयोग करता है, तो इससे उसके कर्मचारियों और ग्राहकों के साथ संबंधों को बनाए रखने में मदद मिल सकती है, क्योंकि व्यवसाय को एक बार में बड़ा बकाया चुकता करके उनकी आर्थिक स्थिति को स्थिर किया जा सकता है।
क्रेडिट स्कोर में सुधार: OTS के बाद बकाया की पूरी तरह से निपटान करने से क्रेडिट स्कोर में सुधार हो सकता है, जिससे भविष्य में नए लोन या क्रेडिट प्राप्त करना आसान हो सकता है।
लंबे समय की प्रक्रिया से बचाव: OTS के माध्यम से कर्ज की लंबी अवधि की प्रक्रिया से बचा जा सकता है, जिससे समय और संसाधनों की बचत होती है।
आर्थिक तनाव में कमी: OTS के तहत एक बार की चुकौती से आर्थिक तनाव और दबाव में कमी आ सकती है, जिससे व्यक्ति या संगठन को अपने अन्य आर्थिक दायित्वों को निभाने में आसानी हो सकती है।
समझौते की लचीलापन: OTS के तहत लोनदाता और कर्जदार के बीच समझौता करने का मौका होता है, जिसमें दोनों पक्षों के लिए उपयुक्त समाधान खोजा जा सकता है।
वन-टाइम सेटलमेंट (OTS) के नुकसान:
कम मात्रा में राहत: OTS के तहत चुकाए गए राशि का लाभ अक्सर बकाया की कुल राशि से कम होता है, जिससे व्यक्ति को कुछ हद तक राहत मिलती है, लेकिन सभी कर्ज की समस्याएं पूरी तरह से हल नहीं हो सकतीं।
क्रेडिट स्कोर पर प्रभाव: OTS का उपयोग करने से व्यक्ति के क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे भविष्य में नए लोन प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है।
लंबे समय की परेशानी: OTS से तुरंत राहत मिल सकती है, लेकिन यदि व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो भविष्य में और भी आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
आर्थिक दबाव: एक बार की बड़ी राशि का भुगतान करने से व्यक्ति या संगठन पर आर्थिक दबाव बढ़ सकता है, जिससे अन्य आर्थिक दायित्वों को निभाने में कठिनाई हो सकती है।
संभावित कानूनी या कर संबंधी मुद्दे: OTS की प्रक्रिया के दौरान कानूनी या कर संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिन्हें हल करना आवश्यक हो सकता है
उधारकर्ता के लिए विकल्प (ओटीएस के भुगतान के लिए):
रुपये की एकमुश्त व्यवस्था:
- उपलब्ध संपत्तियों की बिक्री: उधारकर्ता अपनी कुछ संपत्तियों को बेचकर या गिरवी रखकर वन-टाइम सेटलमेंट की व्यवस्था कर सकते हैं। इससे प्राप्त राशि को OTS के भुगतान में उपयोग किया जा सकता है।
- परिवार या दोस्तों से उधार: परिवार या दोस्तों से लोन लेकर One Time Settlement (OTS) के भुगतान के लिए राशि जुटाई जा सकती है।
सार्वजनिक या निजी लोनदाता से पुनर्वित्त (Refinancing):
- नई लोन योजना: उधारकर्ता नई लोन योजनाओं या पुनर्वित्त विकल्पों की खोज कर सकते हैं जो मौजूदा बकाया को चुकता करने में मदद कर सकते हैं, और इसके बदले में एक नई लोन योजना के तहत पुनर्भुगतान कर सकते हैं।
सहमति:
- लोनदाता से पुनर्विचार: उधारकर्ता अपने लोनदाता से बातचीत करके OTS की शर्तों को पुनः विचार कर सकते हैं, जैसे भुगतान की अवधि में लचीलापन या कमीशन की समीक्षा।
पार्श्व आय (Side Income):
- अतिरिक्त आय स्रोत: उधारकर्ता अपनी मौजूदा आय के अतिरिक्त अतिरिक्त आय स्रोतों की तलाश कर सकते हैं, जैसे पार्ट-टाइम काम, फ्रीलांसिंग, या छोटे व्यवसाय, जिससे One Time Settlement (OTS) के भुगतान के लिए राशि जुटाई जा सके।
सरकारी सहायता और योजना:
- आर्थिक सहायता योजनाएं: कुछ सरकारी योजनाएं और सहायता कार्यक्रम भी होते हैं जो उधारकर्ताओं की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद कर सकते हैं। इन योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए स्थानीय संआर्थिक स्थानों से संपर्क करें।
लोन पुनर्गठन (Debt Restructuring):
- लोन पुनर्गठन की योजना: कुछ लोनदाता उधारकर्ताओं को लोन पुनर्गठन की सुविधा प्रदान करते हैं, जिसमें बकाया राशि की चुकौती के लिए नए शर्तों और योजनाओं के तहत पुनर्वित्त किया जा सकता है।
आर्थिक परामर्श:
- आर्थिक सलाहकार से परामर्श: एक पेशेवर आर्थिक सलाहकार से परामर्श करके सही आर्थिक रणनीति तैयार की जा सकती है, जो One Time Settlement (OTS) के भुगतान के लिए उपयुक्त हो।
क्रेडिट कार्ड से भुगतान:
- क्रेडिट कार्ड लोन: अगर उधारकर्ता के पास क्रेडिट कार्ड है और कार्ड की सीमा उपलब्ध है, तो कुछ मामलों में One Time Settlement (OTS) के भुगतान के लिए क्रेडिट कार्ड का उपयोग भी किया जा सकता है। हालांकि, इसे सावधानी से करना चाहिए क्योंकि इससे ब्याज और शुल्क जुड़ सकते हैं।
निष्कर्ष:
इस महंगाई के युग में, लोन लेना एक आम बात बन चुकी हैं , लेकिन कई लोग इन लोन्स की EMI समय पर अ चुका नहीँ पाते। ऐसे में आप वन-टाइम सेटलमेंट करवा सकते हैं। लेकिन जैसे हर सिक्के के 2 पहलु
होते है, वैसे ही इसके भी फायदे और नुक्सान होते है। हमें इन फायदों और नुकसानों को देखते-समझते हुए अपना फैसला लेना चाहिए। वन-टाइम सेटलमेंट के भुगतान के लिए कुछ उपाए ऊपर दिए गये हैं, आप उन तरीको से अपना वन-टाइम सेटलमेंट का भुगतान कर सकते हैं।अगर इनमे आपको किसी तरह की दिक्कत आती है तो आप आर्थिक सलाहकार से भी सलाह ले सकते हैं।