संक्षेप
जब किसी व्यक्ति पर कई तरह के कर्ज़ होते हैं – जैसे कि पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड बिल, कार लोन आदि – और वह सभी कर्जो की EMI को अलग-अलग तारीखों पर भरते-भरते परेशान हो जाता है, तो ऐसे में Debt Consolidation एक समझदारी भरा विकल्प बन सकता है। इसका मतलब होता है – इन सभी कर्जों को एक ही लोन में मिलाकर, सिर्फ एक EMI में चुकाना।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आपको अब हर महीने सिर्फ एक ही EMI देनी होती है, जिससे मानसिक तनाव कम होता है और बजट प्लानिंग आसान हो जाती है। साथ ही, अगर नया लोन कम ब्याज दर पर मिलता है, तो कुल ब्याज में भी बचत हो सकती है।
Debt Consolidation का दूसरा बड़ा फायदा यह होता है कि इससे आपका क्रेडिट स्कोर सुधर सकता है, बशर्ते आप समय पर EMI चुकाते रहें। एक ही EMI होने से पेमेंट मिस होने की संभावना भी कम हो जाती है।
हालाँकि, इसके कुछ नुकसान भी होते हैं। अगर आपने नया लोन ज्यादा अवधि का लिया, तो ब्याज ज्यादा देना पड़ सकता है। साथ ही, कुछ संस्थान प्रोसेसिंग फीस, प्री-पेमेंट चार्ज आदि भी लेते हैं। और अगर आपने खर्चों पर कंट्रोल नहीं किया, तो आप फिर से कर्ज़ में फँस सकते हैं।
परिचय
आज के समय में बहुत सारे लोग एक से ज्यादा लोन या क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। किसी के पास पर्सनल लोन है, तो किसी के पास होम लोन, कार लोन और ऊपर से क्रेडिट कार्ड की देनदारी भी हैं। ऐसे में जब हर महीने अलग-अलग जगहों पर किश्तें (EMI) भरनी पड़ती हैं, तो न केवल पैसों का बोझ बढ़ता जाता है बल्कि मानसिक तनाव भी होने लगता है। ऐसे में एक विकल्प सामने आता है जिसे कहा जाता है – Debt Consolidation यानी “कर्जों का एकीकरण”।
Debt Consolidation का सीधा मतलब होता है – अपने सभी छोटे-बड़े कर्जों को एक साथ मिलाकर एक नया लोन लेना, ताकि आपको हर महीने कई किश्तें भरने की जगह सिर्फ एक ही EMI भरनी पड़े। उदाहरण के लिए, मान लीजिए आपके ऊपर 3 अलग-अलग क्रेडिट कार्ड का बिल बाकी है और साथ में एक पर्सनल लोन भी चल रहा है। अब आप एक नया लोन लेकर उन सभी बकाया रकम को चुका देते हैं और उसके बाद आपको सिर्फ उसी नए लोन की EMI भरनी होती है। इससे न केवल आपकी मासिक योजना (Monthly Budget) सुधरती है, बल्कि ब्याज दर (Interest Rate) भी कम हो सकती है, अगर सही प्लान चुना जाए।
आज के इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि Debt Consolidation के क्या-क्या फायदे और नुकसान होते हैं, कौन-कौन से तरीके होते हैं जिनसे यह किया जा सकता है, और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि यह विकल्प आपके लिए सही साबित हो। अगर आप भी कर्जों के बोझ से परेशान हैं और एक हल ढूंढ रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता है।
Debt Consolidation क्या होता हैं?
इसका मतलब होता है – कई छोटे-बड़े कर्जों को मिलाकर एक ही नया लोन लेना, ताकि आपको हर महीने कई अलग-अलग किश्तों की जगह सिर्फ एक ही EMI भरनी पड़े। मान लीजिए आपके ऊपर पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड का बकाया और कुछ और कर्ज चल रहे हैं। इन सभी को चुकाने के लिए आप एक नया लोन लेते हैं, जिससे पुराने सभी कर्ज चुका दिए जाते हैं। अब आपको सिर्फ उस नए लोन की EMI भरनी होती है। इससे आपकी वित्तीय योजना आसान हो जाती है और पैसों का प्रबंधन (money management) भी बेहतर होता जाता है।
डेब्ट कंसोलिडेशन का मुख्य फायदा यह होता है कि इससे ब्याज दर कम हो सकती है और आपको कई पेमेंट की टेंशन नहीं रहती हैं। बस एक लोन की EMI समय पर भरनी होती है। यह तरीका उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित होता है जो एक से ज्यादा कर्ज चुका रहे होते हैं और उन्हें समय पर मैनेज नहीं कर पा रहे हैं।
Debt Consolidation काम कैसे करता हैं?
Debt Consolidation एक ऐसा तरीका होता है जिससे आप अपने सभी पुराने कर्जों को एक साथ जोड़कर, उन्हें चुकाने के लिए एक नया लोन लेते हैं। यह प्रक्रिया कुछ आसान स्टेप्स में काम करती है:
सबसे पहले अपने सभी कर्जों की एक लिस्ट बनाएं
आपके ऊपर कितने-कितने कर्ज चल रहे हैं – जैसे क्रेडिट कार्ड बिल, पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन, आदि – इन सबकी जानकारी को जुटाएं। हर लोन का बकाया अमाउंट, ब्याज दर (interest rate) और उसकी EMI को जानना भी बहुत जरूरी होता है।
Debt Consolidation लोन लेने के लिए अप्लाई करें
अब आप किसी बैंक, NBFC (Non-Banking Financial Company) या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से Debt Consolidation लोन के लिए अप्लाई करते हैं। ये संस्था आपको एक बड़ा लोन देती है जिससे आप अपने सारे पुराने कर्ज चुका सकें।
पुराने कर्जों की भुगतान (Repayment)
Debt Consolidation लोन मिलने के बाद आप अपने सभी पुराने कर्ज – जैसे कि क्रेडिट कार्ड का बकाया, पर्सनल लोन या अन्य लोन – तुरंत चुका देते हैं। अब ये सारे कर्ज खत्म हो जाते हैं।
सिर्फ एक EMI का भुगतान
अब आपको हर महीने सिर्फ उसी नए लोन की EMI भरनी होती है, जो आपने Debt Consolidation के लिए लिया था। इससे आपको कई लोन और अलग-अलग डेट्स की झंझट नहीं रहती हैं।
ब्याज दर और अवधि पर ध्यान दें
Debt Consolidation लोन आमतौर पर पर्सनल लोन की तरह होता है, और इसमें ब्याज दर कम या ज्यादा हो सकती है। इसलिए आपको यह तय करना होता है कि इससे आपका कुल ब्याज कम होगा या ज्यादा।
उदाहरण से समझें:
मान लीजिए आपके पास तीन कर्ज हैं:
- क्रेडिट कार्ड बकाया: ₹50,000 @ 36% सालाना
- पर्सनल लोन: ₹1,00,000 @ 15%
- एजुकेशन लोन: ₹75,000 @ 12%
इन सबकी EMI अलग-अलग तारीखों पर जाती है और आपका दिमाग भी परेशान रहता है। अब आप ₹2,25,000 का एक नया Debt Consolidation लोन लेते हैं @ 11% ब्याज पर। पुराने सभी कर्ज चुक जाते हैं और अब आपको सिर्फ एक ही EMI भरनी है – वो भी कम ब्याज दर पर।
Debt Consolidation करते समय किन बातो का ध्यान रखना चाहिए?
अगर आप बिना सोचे-समझे यह कदम उठाते हैं, तो इससे फायदा होने के बजाय नुकसान भी हो सकता है। इसलिए नीचे दी गई बातों को ज़रूर ध्यान में रखें:
1. ब्याज दर (Interest Rate) की तुलना करें
- Debt Consolidation लोन लेते समय देखें कि नया लोन पुराने लोन से सस्ती ब्याज दर पर मिल रहा है या नहीं।
- अगर नया लोन सस्ता है, तभी फायदेमंद होगा।
- अगर ब्याज दर ज्यादा है, तो कुल भुगतान बढ़ सकता है।
2. लोन की अवधि (Loan Tenure) पर ध्यान दें
- अक्सर लोग कम EMI के लालच में लोन की अवधि बढ़ा देते हैं।
- अवधि ज्यादा होने से EMI कम तो होती है, लेकिन कुल ब्याज ज्यादा देना पड़ता है।
- इसलिए बैलेंस बनाए रखें – न बहुत लंबी अवधि, न बहुत छोटी।
3. लोन लेने वाली संस्था विश्वसनीय हो
- Debt Consolidation लोन हमेशा किसी भरोसेमंद बैंक या NBFC से ही लें।
- ऑनलाइन अनजानी वेबसाइट या अनजान ऐप्स से लोन ना लें – ये फ्रॉड हो सकते हैं।
4. पुराने कर्ज समय पर चुकाएं
- Debt Consolidation का मतलब होता है – पुराने कर्ज चुकाना।
- जैसे ही नया लोन मिले, तुरंत अपने सभी पुराने कर्ज चुका दें, वरना दोहरा लोन हो जाएगा।
5. छिपे हुए चार्जेस (Hidden Charges) जांचें
- नए लोन में प्रोसेसिंग फीस, प्री-पेमेंट चार्ज, डॉक्यूमेंटेशन फीस आदि हो सकते हैं।
- सभी चार्जेस का स्पष्ट लेखा-जोखा लें, वरना बाद में बजट गड़बड़ हो सकता है।
Debt Consolidation करने के फायदे और नुकसान क्या होते हैं?
यह तरीका फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी होते हैं।
Debt Consolidation के फायदे (Benefits)
- अब आपको हर महीने कई EMI नहीं भरनी होती।
- सिर्फ एक EMI से पैसा और समय दोनों की बचत होती है।
- कई कर्ज एक साथ चुकाने की टेंशन और confusion खत्म हो जाती है।
- मन शांत रहता है और फाइनेंशियल प्लानिंग आसान हो जाती है।
- Debt Consolidation लोन पर ब्याज दर अगर पुराने कर्जों से कम है, तो आपका कुल ब्याज खर्च घट सकता है।
- अगर आप Consolidation लोन की EMI समय पर चुकाते हैं तो इससे आपका CIBIL स्कोर बेहतर होता है।
- एक ही EMI होने से मासिक खर्चों की योजना बनाना सरल हो जाता है।
- जब आप तयशुदा EMI पर ध्यान देते हैं तो धीरे-धीरे पैसों के साथ अनुशासन बढ़ता है।
Debt Consolidation के नुकसान (Disadvantages)
- अगर आप लोन की अवधि बढ़ाते हैं तो EMI भले कम हो जाए, लेकिन कुल ब्याज ज्यादा देना पड़ता है।
- Processing fees, foreclosure charges, penal interest आदि छिपे हुए चार्जेस हो सकते हैं।
- कई बार लोग सोचते हैं कि पुराने कर्ज खत्म हो गए, अब फिर से नया कर्ज लिया जा सकता है।
- Debt Consolidation आपको राहत तो देता है, लेकिन अगर आप खर्चों पर नियंत्रण नहीं रखते, तो ये भी बेकार हो सकता है।
- अगर आपने Debt Consolidation लोन लिया और उसकी EMI चुकाने में देरी की, तो यह आपके क्रेडिट स्कोर को और ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।
Note : अगर आप अपने कर्ज को खत्म करने के लिए Debt Snowball Method का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं तो आप Loan Settlement की प्रक्रिया का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आइए Loan Settlement के बारें में विस्तार से जानते हैं?
Loan Settlement क्या होता है?
Loan Settlement एक ऐसी वित्तीय प्रक्रिया होती हैं जिसमे आप एकमुश्त भुगतान करके अपने लोन पर बकया राशि का एक हिस्सा माफ़ करने के लिए अपने लेनदार से बातचीत करते हैं। यह एक ऐसा समझौता होता हैं जिसे आप अपने कार्ड जारीकर्ता के साथ अंतिम उपायें के रूप में तब करते हैं जब आप देखते हैं की आपके लोन पर कर्ज बढ़ता जा रहा हैं।
ऐसा फ़िज़ूल के खर्च से लेकर लापरवाही से खर्च करने की आदतों तक कई कारणों से हो सकता हैं। जब आपका कर्ज बढ़ता है तो उसपर ब्याज भी बढ़ता हैं जिससे आपको बकाया राशि चुकाने में मुश्किल हो सकती हैं। अगर आपको इससे बहार निकलने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा हैं तो आप Loan Settlement की सिफारिश कर सकते हैं।
Loan Settlement करने के लिए कौनसे दस्तावेजो की जरुरत होती हैं?
आइए जानते हैं कि Loan Settlement के लिए कौन-कौन से दस्तावेज देने होते हैं:
1. पहचान पत्र (ID Proof)
- आधार कार्ड
- पैन कार्ड
- पासपोर्ट
- ड्राइविंग लाइसेंस
- मतदाता पहचान पत्र (Voter ID)
2. पता प्रमाण (Address Proof)
- आधार कार्ड (अगर इसमें सही पता हो)
- बिजली या पानी का बिल
- बैंक पासबुक की कॉपी या बैंक स्टेटमेंट
- रेंट एग्रीमेंट (अगर आप किराए पर रहते हैं)
3. आय प्रमाण (Income Proof) – (जरूरत पड़ने पर)
- सैलरी स्लिप (अगर आप नौकरी करते हैं)
- बैंक स्टेटमेंट (पिछले 6 महीने का)
- इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) की कॉपी
- बिजनेस के दस्तावेज (अगर आप बिजनेसमैन हैं)
4. लोन स्टेटमेंट
आपको अपने बकाया (outstanding) की सही जानकारी देने के लिए लोन का स्टेटमेंट देना होगा। यह स्टेटमेंट बैंक खुद भी निकाल सकता है, लेकिन कई बार वे आपसे इसकी कॉपी मांगते हैं।
5. सेटलमेंट अनुरोध पत्र (Settlement Request Letter)
अगर आप खुद से बैंक सेटलमेंट के लिए अप्रोच कर रहे हैं, तो आपको एक लिखित अनुरोध पत्र (Settlement Request Letter) देना होगा, जिसमें आप यह बता सकते हैं कि:
- आप सेटलमेंट क्यों चाहते हैं?
- आपकी आर्थिक स्थिति क्या है?
- आप कितनी राशि एकमुश्त (One-time payment) चुका सकते हैं?
6. बैंक द्वारा दिया गया सेटलमेंट ऑफर लेटर
जब बैंक सेटलमेंट के लिए सहमत हो जाता है, तो वे आपको एक Settlement Offer Letter देते हैं। इसे ध्यान से पढ़ें और उसमें दी गई राशि और शर्तों की पुष्टि करें।
Loan Settlement करने से पहले क्या करना चाहिए?
नीचे कुछ कदम दिए गए हैं, जो Loan Settlement से पहले अपनाने चाहिए:
- सबसे पहले अपनी आय, खर्च, और बाकी सभी कर्जों का सही जांच करें। जानें कि आप कितनी रकम चुका सकते हैं।
- Loan Settlement से पहले अपनी समस्या को बैंक या कर्ज देने वाले से स्पष्ट रूप से साझा करें। कई बार वे आपके लिए बेहतर समाधान, जैसे कि ईएमआई कम करना या लोन अवधि बढ़ाना, पेश कर सकते हैं।
- किसी वित्तीय सलाहकार या एक्सपर्ट से संपर्क करें। वे आपको सही निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं और समझा सकते हैं कि Loan Settlement का आपके क्रेडिट स्कोर पर क्या असर होगा।
- अगर आप Loan Settlement का निर्णय लेते हैं, तो बैंक द्वारा दी गई शर्तों को ध्यान से पढ़ें। सुनिश्चित करें कि आपसे कोई छिपा शुल्क नहीं लिया जा रहा हैं।
- Loan Settlement करने से आपका क्रेडिट स्कोर कम हो सकता है। यह भविष्य में लोन लेने में मुश्किल पैदा कर सकता है। इसे ध्यान में रखकर ही निर्णय लें।
- Loan Settlement अंतिम विकल्प होना चाहिए। उससे पहले, पुनर्वित्त (Refinance), ईएमआई कम करवाने, या परिवार और दोस्तों से मदद मांगने जैसे अन्य विकल्पों पर विचार करें।
Loan Settlement करने के क्या कारण होते हैं?
नीचे कुछ सामान्य कारण दिए गए हैं:
- कई बार व्यक्ति लोन लेने के बाद अपने खर्चों और आय का सही तरीके से मैनेज नहीं कर पाता हैं, जिससे भुगतान करने में दिक्कत होती है।
- किसी प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना, या परिवार में कोई बड़ा संकट आने से लोन चुकाने में परेशानी हो सकती है।
- अगर व्यक्ति की नौकरी चली जाए, आय का स्रोत बंद हो जाए, या व्यापार में भारी नुकसान हो, तो समय पर लोन चुकाना मुश्किल हो सकता है।
- अगर लोन की ब्याज दर बहुत ज्यादा हो और किस्त चुकाने में परेशानी हो, तो Loan Settlement का सहारा लिया जाता है।
- बड़ी बीमारी या मेडिकल इमरजेंसी में अचानक खर्च बढ़ जाने पर लोन चुकाने के लिए पैसे की कमी हो सकती है।
- कई बार व्यक्ति के ऊपर एक से ज्यादा लोन का बोझ होता है, जिसे समय पर चुकाना मुश्किल हो जाता है।
Loan Settlement करने के लिए कैसे अप्लाई करें?
अगर आप अपने लोन का बकाया चुकाने में असमर्थ हैं और भारी ब्याज दरों से परेशान हैं, तो Loan Settlement एक संभावित समाधान हो सकता है। इस प्रक्रिया के तहत, बैंक या लोन कंपनी आपकी कुल बकाया राशि का कुछ हिस्सा माफ कर सकती है और आपको एकमुश्त भुगतान (One-time Settlement) करने का विकल्प देती है। हालांकि, यह आपके CIBIL Score को प्रभावित कर सकता है, इसलिए इसे अंतिम विकल्प के रूप में ही अपनाएं।
Loan Settlement के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया
- सबसे पहले यह तय करें कि आप लोन के पूरे बकाए का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं।
- अपनी आय और खर्चों की जांच करें और तय करें कि आप ज्यादा से ज्यादा कितनी राशि चुका सकते हैं।
- अपने बैंक या लोन कंपनी के कस्टमर केयर से बात करें और उन्हें अपनी मौजूदा वित्तीय स्थिति के बारे में बताएं।
- बैंक से सेटलमेंट ऑफर मांगें और बातचीत शुरू करें।
- बैंक आपको एक सेटलमेंट अमाउंट ऑफर करेगा, जो आपकी कुल बकाया राशि से कम होगा।
- अगर आप इस राशि से सहमत नहीं हैं, तो बैंक से बातचीत करें और अपने भुगतान करने की क्षमता के अनुसार राशि को कम करने की कोशिश करें।
- जब बैंक और आप किसी निश्चित राशि पर सहमत हो जाएं, तो तय करें कि आपको एक लिखित सेटलमेंट लेटर मिले।
- इसमें सेटलमेंट की शर्तें, भुगतान की तारीखें, और अन्य नियम सही से उल्लेखित होने चाहिए।
- एक बार सेटलमेंट हो जाने के बाद, तय समय के भीतर पूरा भुगतान करें।
- भुगतान के बाद बैंक से नो ड्यू सर्टिफिकेट (NOC) या फाइनल सेटलमेंट लेटर प्राप्त करें।
- सेटलमेंट के बाद, सुनिश्चित करें कि बैंक आपकी CIBIL रिपोर्ट में “सेटल्ड” स्टेटस अपडेट कर दे।
- यह आपके क्रेडिट स्कोर को प्रभावित कर सकता है, इसलिए भविष्य में इसे सुधारने के लिए अच्छे वित्तीय प्रबंधन की आदत डालें।
Loan Settlement करने के बाद CIBIL Score पर क्या असर पडता हैं?
सेटलमेंट का क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसका असर निम्नलिखित तरीकों से देखा जा सकता है:
- सेटलमेंट की प्रक्रिया के बाद, आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में यह जानकारी दर्ज हो जाती है, कि आपने अपना कर्ज “सेटल” किया है। यह एंट्री आपके क्रेडिट इतिहास में 7 साल तक बनी रहती है और इसे लेंडर्स या अन्य क्रेडिटर्स द्वारा नकारात्मक रूप में देखा जा सकता है, जो भविष्य में कर्ज लेने की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है।
- चूंकि सेटलमेंट का मतलब होता है कि आपने पूरा कर्ज चुकाया नहीं है, भविष्य में जब आप नया कर्ज लेने की कोशिश करेंगे, तो बैंक आपके क्रेडिट स्कोर और रिपोर्ट को देखकर आपके आवेदन को अस्वीकार कर सकते हैं या आपको उच्च ब्याज दरों पर कर्ज दे सकते हैं।
- सेटलमेंट के बाद, अगर आपके पास कोई लोन या अन्य क्रेडिट लाइन है, तो आपके क्रेडिट लिमिट को कम किया जा सकता है, क्योंकि क्रेडिटर्स को लगता है कि आप ज्यादा जोखिम वाले ग्राहक हो सकते हैं।
- अगर आपका क्रेडिट स्कोर गिरता है, तो आपके लिए लोन, लोन, या किसी अन्य प्रकार की क्रेडिट सुविधा प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। इससे आपकी वित्तीय स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है, खासकर अगर आपको भविष्य में किसी वित्तीय आपातकाल का सामना करना पड़े।
- जब आप अपने बैंक के साथ सेटलमेंट के लिए समझौता करते हैं, तो आप पूरी उधारी का भुगतान नहीं कर रहे होते हैं, बल्कि एक निश्चित राशि का भुगतान कर रहे होते हैं जो मूल राशि से कम होती है। इसे क्रेडिट ब्यूरो द्वारा नकारात्मक रूप में देखा जाता है, क्योंकि यह दर्शाता है कि आप अपने कर्ज को चुकाने में असमर्थ रहे हैं। नतीजतन, आपका क्रेडिट स्कोर गिर सकता है।
Loan Settlement करने का क्या फायदा होता हैं?
आइए जानते हैं कि Loan Settlement करने के क्या फायदे होते है:
- लोन का ब्याज बहुत ज्यादा होता है, जो 30-45% तक सालाना हो सकता है। अगर आप समय पर भुगतान नहीं कर रहे हैं, तो ब्याज और लेट पेमेंट फीस लगातार बढ़ती रहती है।
- Loan Settlement में आपको एक बार में ही कुछ तय रकम चुकानी होती है, जिससे आपका कर्ज पूरी तरह समाप्त हो जाता है। यह उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है जो एक बार में थोड़ी रकम जुटाकर कर्ज से बाहर निकलना चाहते हैं।
- हालांकि, सेटलमेंट करने से आपका CIBIL Score कम हो सकता है, लेकिन अगर आप सेटलमेंट के बाद वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हैं और समय पर अपने अन्य लोन और बिलों का भुगतान करते हैं, तो आप धीरे-धीरे अपना स्कोर सुधार सकते हैं।
- अगर आपका लोन का बकाया बहुत ज्यादा हो गया है और आप इसे चुकाने में असमर्थ हैं, तो सेटलमेंट करने से आपको बहुत बड़ी राहत मिल सकती है।
- जब आप लगातार अपने लोन का भुगतान नहीं करते हैं, तो बैंक आपके खिलाफ Legal Notice भेज सकता है और रिकवरी एजेंट भी भेज सकता है।
- लगातार बढ़ते कर्ज और बैंक की कॉल्स से मानसिक तनाव बढ़ जाता है। अगर आप सेटलमेंट कर लेते हैं, तो आपको इस चिंता से राहत मिलती है और आप अपनी वित्तीय स्थिति को दोबारा सुधारने पर ध्यान दे सकते हैं।
Loan Settlement करने के क्या नुकसान होते हैं?
आइए विस्तार से जानते हैं कि Loan Settlement करने के क्या नुकसान होते हैं।
- Loan Settlement करने से बैंक के साथ आपके संबंध खराब हो सकते हैं। बैंक इसे इस नजर से देखता है कि आपने अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों को पूरी तरह नहीं निभाया हैं, जिससे भविष्य में आपको बैंकिंग सेवाओं में दिक्कतें आ सकती हैं।
- अगर आपने एक बार Loan Settlement किया है, तो बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं आपको “हाई-रिस्क कस्टमर” मान सकती हैं। इससे होम लोन, पर्सनल लोन या बिजनेस लोन मिलने में परेशानी हो सकती है, या फिर बैंक आपसे ऊंची ब्याज दर (High Interest Rate) पर लोन दे सकता है।
- अगर आपने किसी बैंक के साथ लोन सेटल किया है, तो वही बैंक आपको भविष्य में फिर से लोन जारी करने से मना कर सकता है। यहां तक कि कुछ बैंक आपको अपनी ब्लैकलिस्ट में भी डाल सकते हैं, जिससे आप उनके किसी भी क्रेडिट प्रोडक्ट के लिए अयोग्य हो सकते हैं।
- Loan Settlement का सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि इससे आपका CIBIL Score खराब हो जाता है। जब आप पूरा बकाया चुकाने के बजाय बैंक से समझौता करके कम रकम चुकाते हैं, तो बैंक इसे “सेटल” (Settled) स्टेटस में रिपोर्ट करता है। यह स्टेटस आपके क्रेडिट रिपोर्ट में 7 साल तक बना रह सकता है, जिससे भविष्य में लोन या नया लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
- कुछ मामलों में, जब आप भविष्य में किसी अन्य बैंक से लोन लेने जाते हैं, तो बैंक आपकी क्रेडिट हिस्ट्री देखकर आपसे पहले का सेटलमेंट अमाउंट पूरा चुकाने के लिए कह सकता है। यानी अगर आपने 1 लाख रुपये के बकाए पर 50,000 रुपये देकर सेटलमेंट किया था, तो नया बैंक आपसे बची हुई 50,000 रुपये की मांग कर सकता है।
निष्कर्ष
आज के समय में जब हर चीज़ के लिए लोन मिल जाता है – चाहे वो पर्सनल खर्च हो, मोबाइल खरीदना हो या क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करनी हो – तो कई बार हम एक साथ कई कर्जों में फँस जाते हैं। हर महीने अलग-अलग डेट में EMI भरना, अलग-अलग ब्याज दरों को मैनेज करना और बार-बार कॉल्स का सामना करना वाकई बहुत मुश्किल भरा हो जाता है।
ऐसे में Debt Consolidation एक आसान और समझदारी भरा तरीका साबित हो सकता है। इसका मतलब यह है – अपने सभी छोटे-बड़े कर्जों को मिलाकर सिर्फ एक लोन लेना, जिससे आप बाकी सभी कर्ज चुका सकें और आगे सिर्फ एक ही EMI पर फोकस कर सकें।
यह तरीका न सिर्फ आपकी EMI को आसान बनाता है, बल्कि आपकी मानसिक शांति और वित्तीय योजना में भी मदद करता है। अगर आप नया लोन कम ब्याज दर पर लेते हैं और समय पर उसकी EMI भरते हैं, तो इससे आपका क्रेडिट स्कोर भी सुधर सकता है और भविष्य में लोन लेना आसान हो सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’s)
Ans: इसके लिए आमतौर पर पहचान पत्र, पते का प्रमाण, आय प्रमाण, और आपके वर्तमान कर्जों का विवरण (जैसे क्रेडिट कार्ड या लोन की जानकारी) जरुरी होते हैं।
Ans: अगर आप Debt Consolidation Loan की ईएमआई समय पर चुकाते हैं, तो इससे आपके क्रेडिट स्कोर में सुधार हो सकता है। हालांकि, अगर आप समय पर भुगतान नहीं करते हैं, तो इसका नकारात्मक असर भी पड़ सकता है।
Ans: बैलेंस ट्रांसफर में आप अपने पुराने कर्ज को नए बैंक में ट्रांसफर करते हैं, जबकि Debt Consolidation Loan में आप सभी कर्जों को एक लोन में जोड़ते हैं। यह दोनों विकल्प कर्ज को कम ब्याज दर पर चुकाने के लिए होते हैं, लेकिन तरीका अलग होता है।
Ans: ब्याज दर बैंक और वित्तीय संस्थान के अनुसार बदल सकती है, लेकिन आमतौर पर यह आपकी क्रेडिट हिस्ट्री और लोन की राशि पर निर्भर करती है। आमतौर पर यह मौजूदा कर्जों की ब्याज दर से कम हो सकती है।
Ans: हाँ, Debt Consolidation Loan आपके कर्जों को एक साथ जोड़कर एक आसान और एकल ईएमआई में बदल देता है, जिससे कर्ज चुकाना आसान और सुविधाजनक हो जाता है।