संक्षेप
जब कोई व्यक्ति बैंक या फाइनेंशियल संस्था से लोन लेता है और समय पर उसकी किश्ते (EMIs) नहीं चुका पाता हैं, तो उसे Loan Default कहा जाता है। लगातार 90 दिन या उससे ज्यादा समय तक EMI न चुकाने पर बैंक आपके लोन अकाउंट को NPA (Non-Performing Asset) घोषित कर देता है और रिकवरी की प्रक्रिया शुरू करता है। इसमें नोटिस, रिकवरी एजेंट और कानूनी कार्यवाही भी शामिल हो सकती है।
ऐसे समय में अगर लोनधारक की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है और वह आगे भुगतान करने की स्थिति में नहीं होता हैं, तो वह Loan Settlement का विकल्प चुन सकता है। लोन सेटलमेंट एक आपसी समझौता होता है जिसमें बैंक लोन की कुछ रकम माफ करके शेष बची हुई राशि को लेकर लोन को बंद कर देता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने ₹5 लाख का लोन लिया और ₹2 लाख चुका चुके हैं, तो बैंक कह सकता है कि आप ₹1.5 लाख और दे दीजिए, हम बाकी माफ कर देंगे।
सेटलमेंट की प्रक्रिया में सबसे पहले बैंक से संपर्क करना होता है, एक लिखित आवेदन देना होता है और अपनी वित्तीय स्थिति को सही तरीके से पेश करना होता है। अगर बैंक को लगता है कि उधारकर्ता आगे भुगतान नहीं कर सकेगा, तो वह सेटलमेंट ऑफर देता है। सेटलमेंट राशि चुकाने के बाद बैंक एक NOC (No Objection Certificate) और लोन क्लोजर लेटर देता है।
परिचय
आज के समय में लोगो के लिए लोन लेना बहुत आम हो गया है। चाहे घर खरीदना हो, कार लेनी हो या बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसों की ज़रूरत हो, लोग बैंकों या फाइनेंशियल संस्थानों से लोन लेते हैं। लोन लेने के समय व्यक्ति यह सोचकर आगे बढ़ता है कि वह समय पर EMI चुका देगा। लेकिन कई बार हालात ऐसे बन जाते हैं जब कोई व्यक्ति लोन की किश्तें (EMIs) समय पर नहीं चुका पाता हैं, तो इस स्थिति को Loan Default कहा जाता है।
Loan Default तब होता है जब लोन लेने वाला व्यक्ति तय किए गए समय पर अपनी लोन की किश्त नहीं चुकाता हैं और लगातार कई महीनों तक भुगतान नहीं करता हैं। यह स्थिति व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को और भी ज्यादा खराब कर सकती है, क्योंकि इससे उसका CIBIL Score गिर जाता है और भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड लेने में परेशानी हो सकती है। साथ ही, बैंक या फाइनेंशियल संस्था उस व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई भी कर सकती है, जिसमें रिकवरी एजेंट भेजना, कोर्ट केस करना या संपत्ति जब्त करना शामिल हो सकता है।
ऐसे मुश्किल समय में कई लोग सोचते हैं कि अब क्या किया जाए? क्या बैंक से कोई समाधान निकाला जा सकता है? क्या यह कर्ज हमेशा के लिए सिर पर रहेगा? इन सभी सवालों का एक उत्तर है – Loan Settlement।
आज के इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि लोन डिफॉल्ट के बाद Settlement कैसे होता है, Loan Settlement करने के फायदे और नुकसान क्या होते हैं, कौन-कौन से दस्तावेज़ लगते हैं, और इस प्रक्रिया के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। अगर आप या आपके जानने वाले इस स्थिति का सामना कर रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बहुत मददगार साबित हो सकती है।
Loan Settlement क्या होता हैं?
यह एक ऐसी वित्तीय प्रक्रिया होती है जिसमें बैंक या वित्तीय संस्था लोन लेने वाले व्यक्ति को पूरी बकाया लोन की राशि को चुकाने के बजाय कम राशि देकर लोन निपटाने का मौका देती है। यह सुविधा उन लोगों के लिए होती है जो किसी कारण से अपना लोन समय पर नहीं चुका पाते हैं और लगातार डिफॉल्ट कर रहे होते हैं।
सेटलमेंट के तहत बैंक एकमुश्त राशि (लंपसम अमाउंट) पर सहमति बना सकता है, जिससे लोन बंद हो जाता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि लोन सेटलमेंट करने से आपका CIBIL स्कोर प्रभावित हो सकता है, जिससे भविष्य में आपको लोन लेने में मुश्किल हो सकती है। इसलिए, इसे अंतिम विकल्प के रूप में ही अपनाना चाहिए।
Loan Settlement कैसे काम करता है?
जब कोई व्यक्ति अपने पर्सनल लोन की EMI समय पर चुकाने में असमर्थ हो जाता है और लंबे समय तक बकाया राशि जमा हो जाती है, तो बैंक या वित्तीय संस्था लोन सेटलमेंट का विकल्प देती है। इसमें बैंक ग्राहक को पूरी बकाया राशि के बजाय रियायती रकम (discounted amount) चुकाने का मौका देता है, जिससे लोन का मामला निपट जाता है।
सेटलमेंट की प्रक्रिया में ग्राहक और बैंक के बीच बातचीत होती है, जहां बैंक इस बात की पुष्टि करता है कि ग्राहक लोन का पूरा भुगतान नहीं कर सकता हैं। इसके बाद, बैंक एक सिंगल-शॉट पेमेंट ऑफर देता है, जो आमतौर पर बकाया लोन राशि से कम होता है। जब ग्राहक इस सहमत राशि का भुगतान कर देता है, तो बैंक लोन को “Settled” के रूप में रिपोर्ट करता है। हालांकि, यह CIBIL स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है क्योंकि इसे “Complete Payment” नहीं माना जाता हैं।
इसलिए, लोन सेटलमेंट को अंतिम विकल्प के रूप में ही चुनना चाहिए और अगर संभव हो, तो लोन रीपेमेंट प्लान, लोन री-स्ट्रक्चरिंग या अन्य वित्तीय समाधान पर विचार करना चाहिए ताकि क्रेडिट स्कोर खराब न हो।
Loan Settlement और Credit Card Loan Settlement में अंतर है?
आइए इन दोनों को विस्तार से समझते हैं:
- Loan Settlement: इसमें कर्जदार अपने बैंक के साथ बातचीत करता है, ताकि कर्ज की कुल राशि का कुछ हिस्सा माफ किया जा सके। इसका मतलब है कि कर्जदार को अपनी मूल उधारी से कम राशि का भुगतान करना पड़ता है। यह प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब कर्जदार पूरी कर्ज राशि चुकाने में असमर्थ हो और वह बैंक से समझौता करने की कोशिश करता है।
- Credit Card Loan Settlement: क्रेडिट कार्ड लोन सेटलमेंट (Credit Card Loan Settlement) एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसके माध्यम से आप अपने क्रेडिट कार्ड के बकाया भुगतान को बैंक या क्रेडिट कार्ड प्रदाता के साथ बातचीत करके कम कर सकते हैं। जब आप अपने क्रेडिट कार्ड के पूरे बकाया राशि का भुगतान करने में असमर्थ होते हैं और आपकी वित्तीय स्थिति गंभीर हो जाती है, तो बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी आपके साथ एक समझौता करती है। इसमें आपको मूल राशि का एक निश्चित प्रतिशत देकर अपनी देनदारी को समाप्त करने का मौका दिया जाता है।
Loan Settlement करने के लिए कौनसे दस्तावेजों की आवशयकता होती हैं?
निम्नलिखित दस्तावेजों की आवशयकता होती हैं:
- आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, या ड्राइविंग लाइसेंस आदि।
- सैलरी स्लिप, आयकर रिटर्न, बैंक स्टेटमेंट आदि।
- Loan Settlement लेटर, कर्ज विवरण, भुगतान रसीदें आदि।
- निवेश के दस्तावेज़, संपत्ति के दस्तावेज़, बीमा पॉलिसी आदि।
Loan Settlement करने के लिए ऑनलाइन अप्लाई कैसे करें?
अगर आप इसे ऑनलाइन अप्लाई करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए आसान स्टेप्स को फॉलो करें:
बैंक की वेबसाइट या ऐप पर जाएं
- अपने लोन प्रदाता या बैंक की ऑफिसियल वेबसाइट या मोबाइल ऐप को खोलें।
- साइन अप करें, अगर पहले से अकाउंट है, तो लॉग इन करें। नहीं तो नया अकाउंट बनाएं।
कस्टमर सपोर्ट सेक्शन देखें
- वेबसाइट या ऐप पर ‘Customer Support’ या ‘Contact Us’ सेक्शन पर जाएं।
- यहां आपको “Loan Settlement” से संबंधित विकल्प मिल सकता है, जैसे:
- लोन से जुड़ी शिकायत दर्ज करना।
- लोन सेटलमेंट के लिए रिक्वेस्ट फॉर्म।
सेटलमेंट करने के लिए रिक्वेस्ट फॉर्म भरें
- “Loan Settlement Request” विकल्प चुनें।
- मांगी गई जानकारी भरें, जैसे:
- आपका नाम
- लोन अकाउंट नंबर
- ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर
- कारण (क्यों आप सेटलमेंट करना चाहते हैं, जैसे वित्तीय समस्या या आय में कमी)।
जरूरी दस्तावेजो को अपलोड करें
- अपनी मौजूदा वित्तीय स्थिति को दिखाने वाले दस्तावेज अपलोड करें, जैसे:
- इनकम सर्टिफिकेट या सैलरी स्लिप
- बैंक स्टेटमेंट
- कोई अन्य प्रमाण जो आपकी समस्या को स्पष्ट करे।
- सभी दस्तावेज स्कैन करके सही फॉर्मेट में अपलोड करें (PDF या JPEG)।
सबमिट करें और बैंक की तरफ से जवाब आने का इंतजार करें
- फॉर्म सबमिट करने के बाद, बैंक आपकी रिक्वेस्ट की जांच करेगा।
- आमतौर पर बैंक 7-10 वर्किंग डेज़ में आपसे संपर्क करता है। वे ईमेल, कॉल, या मैसेज के जरिए सेटलमेंट की जानकारी देंगे।
बैंक के ऑफर को समझें
- बैंक आपके बकाया राशि का एक हिस्सा माफ करने का प्रस्ताव देगा। इसे ध्यान से पढ़ें।
- अगर आपको ऑफर स्वीकार है, तो आगे बढ़ें। नहीं तो और बातचीत करें।
भुगतान करें
- बैंक द्वारा तय की गई सेटलमेंट राशि को ऑनलाइन पेमेंट मोड के जरिए चुकाएं।
- बैंक आपको पेमेंट का कन्फर्मेशन देगा और आपका लोन खाता बंद कर देगा।
Loan Settlement करने से क्रेडिट स्कोर पर कैसा असर पड़ता है?
इसका असर निम्नलिखित तरीकों से देखा जा सकता है:
- Loan Settlement करने के बाद, अगर आपके पास कोई क्रेडिट कार्ड या अन्य क्रेडिट लाइन है, तो आपके क्रेडिट लिमिट को कम किया जा सकता है, क्योंकि क्रेडिटर्स को लगता है कि आप ज्यादा जोखिम वाले ग्राहक हो सकते हैं।
- अगर आपका क्रेडिट स्कोर गिरता है, तो आपके लिए लोन, क्रेडिट कार्ड, या किसी अन्य प्रकार की क्रेडिट सुविधा प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। इससे आपकी वित्तीय स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है, खासकर अगर आपको भविष्य में किसी वित्तीय आपातकाल का सामना करना पड़े।
- जब आप अपने बैंक के साथ Loan Settlement के लिए समझौता करते हैं, तो आप पूरी उधारी का भुगतान नहीं कर रहे होते हैं, बल्कि एक निश्चित राशि का भुगतान कर रहे होते हैं जो मूल राशि से कम होती है। इसे क्रेडिट ब्यूरो द्वारा नकारात्मक रूप में देखा जाता है, क्योंकि यह दर्शाता है कि आप अपने कर्ज को चुकाने में असमर्थ रहे हैं। नतीजतन, आपका क्रेडिट स्कोर गिर सकता है।
- Loan Settlement की प्रक्रिया के बाद, आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में यह जानकारी दर्ज हो जाती है, कि आपने अपना कर्ज “सेटल” किया है। यह एंट्री आपके क्रेडिट इतिहास में 7 साल तक बनी रहती है और इसे लेंडर्स या अन्य क्रेडिटर्स द्वारा नकारात्मक रूप में देखा जा सकता है, जो भविष्य में कर्ज लेने की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है।
- चूंकि Loan Settlement का मतलब होता है कि आपने पूरा कर्ज चुकाया नहीं है, भविष्य में जब आप नया कर्ज लेने की कोशिश करेंगे, तो बैंक आपके क्रेडिट स्कोर और रिपोर्ट को देखकर आपके आवेदन को अस्वीकार कर सकते हैं या आपको उच्च ब्याज दरों पर कर्ज दे सकते हैं।
Loan Settlement होने में कितना समय लगता है?
सेटलमेंट की प्रक्रिया का समय अलग – अलग कारकों पर भी निर्भर करता है, जैसे आपके बैंक या लोन देने वाली संस्था की पॉलिसी, बकाया राशि, और आप दोनों के बीच बातचीत। आमतौर पर यह प्रक्रिया 1 से 3 महीने तक का समय ले सकती है।
सेटलमेंट की प्रक्रिया में सबसे पहला कदम बैंक से बातचीत करना होता है, जहां आप अपनी मुश्किलों और भुगतान की स्थिति के बारें में बैंक को समझाते हैं। इसके बाद, बैंक आपकी स्थिति के आधार पर एक सेटलमेंट का ऑफर देता है। अगर आप उस ऑफर को स्वीकार करते हैं, तो बैंक को तय समय सीमा के भीतर भुगतान करना होता है। फिर बैंक लोन को सेटल के रूप में रिपोर्ट करता है, जो कुछ समय ले सकता है।
इस पूरी प्रक्रिया में जितना ज्यादा समय लगेगा, उतना ही आपके CIBIL स्कोर पर प्रभाव डाल सकता है, इसलिए जल्दी से जल्दी समाधान तलाशना बेहतर रहता है।
Loan Settlement और Loan Closure में क्या अंतर होता हैं?
हालांकि दोनों का उद्देश्य लोन को खत्म करना होता है, लेकिन इन दोनों के बीच काफी अंतर होते हैं।
Loan Settlement (लोन सेटलमेंट):
Settlement तब होता है जब उधारकर्ता पूरी लोन की राशि का भुगतान नहीं कर सकता और बैंक या वित्तीय संस्थान से समझौता करता है। इस स्थिति में, बैंक या संस्था उधारकर्ता से कम लोन की राशि लेकर बाकी का लोन माफ कर देती है। इस प्रक्रिया में उधारकर्ता को एकमुश्त राशि चुकानी होती है, जो पूरे लोन से कम होती है। यह आमतौर पर तब होता है जब उधारकर्ता आर्थिक संकट से गुजर रहा होता है या उसकी भुगतान करने की क्षमता पूरी नहीं हो रही होती हैं।
- किसे माफ किया जाता है? लोन का बाकी हिस्सा।
- कब होता है? जब उधारकर्ता के पास लोन को चुकता करने के लिए पूरी राशि नहीं होती हैं।
- फायदे: उधारकर्ता को लोन का कुछ हिस्सा माफ हो जाता है।
- नुकसान: CIBIL स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, और भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
Loan Closure (लोन क्लोजर):
Loan Closure तब होता है जब उधारकर्ता पूरी लोन की राशि का भुगतान करता है, जिसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल होते हैं। इस स्थिति में, लोन को पूरी तरह से चुकता किया जाता है और बैंक या वित्तीय संस्था द्वारा लोन को बंद कर दिया जाता है। जब लोन का पूरा भुगतान हो जाता है, तो उधारकर्ता को एनओसी (No Objection Certificate) प्रदान किया जाता है, जो यह प्रमाणित करता है कि लोन की पूरी राशि चुका दी गई है और लोन को समाप्त कर दिया गया है।
- किसे माफ किया जाता है? कोई माफी नहीं होती हैं पूरी लोन की राशि का भुगतान किया जाता है।
- कब होता है? जब उधारकर्ता पूरी राशि चुकता करता है।
- फायदे: CIBIL स्कोर पर सकारात्मक असर पड़ता है और भविष्य में लोन लेने में कोई परेशानी नहीं होती हैं।
- नुकसान: पूरी राशि का भुगतान करना होता है, जो कभी-कभी आर्थिक रूप से मुश्किल हो सकता है।
मुख्य अंतर:
- Loan Settlement में उधारकर्ता को लोन की कुछ राशि माफ हो जाती है, जबकि Loan Closure में पूरी राशि चुकता करनी होती है।
- Loan Settlement की प्रक्रिया आमतौर पर तब होती है जब उधारकर्ता के पास पूरे लोन को चुकता करने के लिए पैसे नहीं होते हैं, जबकि Loan Closure तब होता है जब उधारकर्ता पूरी राशि चुका देता है।
- Loan Settlement से CIBIL स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जबकि Loan Closure से स्कोर पर कोई असर नहीं होता हैं।
Loan Settlement करने के फायदे और नुक्सान क्या हैं?
इसके निम्नलिखित फायदे और नुकसान हैं:
फायदे
- Loan Settlement के माध्यम से, कर्जदार को अपने कर्ज का कुछ हिस्सा माफ करवाने का मौका मिलता है।
- यह उसकी वित्तीय स्थिति को सुधारने में मदद करता है और उसे भारी वित्तीय बोझ से राहत दिलवाता है।
- हालांकि Loan Settlement करने से कर्जदार का क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है, लेकिन समय पर और सही तरीके से समझौते का पालन करने से वह अपने क्रेडिट स्कोर को धीरे-धीरे सुधार सकता है।
- Loan Settlement करने से कर्जदार की वित्तीय स्थिति में सुधार होता है।
- Loan Settlement करने से आप अपनी आय और लागत को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकते हैं और भविष्य में वित्तीय संकट से बच सकते हैं।
- कर्ज का भारी बोझ अक्सर मानसिक तनाव का कारण बनता है। Loan Settlement से कर्जदार को इस तनाव से राहत मिलती है और वह अपने जीवन में मानसिक शांति पा सकता है।
नुक्सान
- Loan Settlement के बाद, कर्जदार का क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है।
- Loan Settlement भविष्य में नए कर्ज लेने या क्रेडिट कार्ड प्राप्त करने में कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है।
- Loan Settlement के कारण, कर्जदार के बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं।
- भविष्य में, कर्जदार को इन संस्थानों से कर्ज प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है।
- Loan Settlement के माध्यम से, कर्जदार का पूरा लोन माफ नहीं होता है। उसे अभी भी कुछ राशि का भुगतान करना होता है, जो उसकी वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
- Loan Settlement के दौरान, बैंक और कर्जदार के बीच जो समझौता होता है, उसमें कई शर्तें होती हैं। कर्जदार को इन शर्तों का पालन करना जरूरी होता है, जिससे उसकी स्वतंत्रता सीमित हो सकती है।
Loan Default करने के बाद Settlement कैसे होता है?
चलिए जानते हैं कि loan default के बाद settlement कैसे होता है – step-by-step:
1: अपनी Financial स्थिति की जांच करें
सबसे पहले आपको खुद यह समझना होगा कि आप लोन क्यों नहीं चुका पा रहे हैं – क्या आपकी नौकरी चली गई? क्या मेडिकल इमरजेंसी हुई हैं? या व्यापार में घाटा हुआ हैं?
2: बैंक से संपर्क करें
Settlement की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आपको बैंक या फाइनेंशियल संस्था से संपर्क करना होगा। यह काम आप खुद भी कर सकते हैं या फिर किसी Loan Settlement Advisor की मदद भी ले सकते हैं।
3: Written Application दें
आपको बैंक को एक लिखित पत्र (application) देना होता है जिसमें यह बताया जाता है कि आप किस कारण से लोन चुकाने में असमर्थ हैं और आप settlement का रिक्वेस्ट कर रहे हैं।
4: बैंक द्वारा Settlement Offer
अगर बैंक को लगता है कि आपकी आर्थिक स्थिति सच में कमजोर है और लोन की पूरी राशि वसूलना मुश्किल है, तो वे एक settlement offer दे सकते हैं। इसमें वे कह सकते हैं कि अगर आप ₹5 लाख की बजाय ₹3 लाख चुका दें, तो वे केस बंद कर देंगे।
5: Negotiation करें
Settlement एक बातचीत की प्रक्रिया होती है। आप बैंक के ऑफर से सहमत न हों तो आप बातचीत करके इसे और कम करवा सकते हैं।
6: Written Agreement लें
बैंक से जो भी settlement तय हो, उसे written agreement के रूप में लें।
7: Payment करें और NOC लें
Settlement की राशि तय हो जाने के बाद आपको तय समय में उसे भरना होता है। भुगतान के बाद बैंक से NOC (No Objection Certificate) और Loan Closure Letter लेना न भूलें।
निष्कर्ष
लोन लेना आजकल हमारी ज़रूरतों का एक बहुत ही अहम हिस्सा बन चुका है। लेकिन जब किसी कारणवश हम लोन की EMI को समय पर नहीं चुका पाते हैं और यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो वह Loan Default कहलाती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति मानसिक, आर्थिक और सामाजिक दबाव में आ जाता है। बैंक बार-बार नोटिस भेजता है, रिकवरी एजेंट घर पर आते हैं और भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड लेने की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं।
ऐसे मुश्किल समय में लोन सेटलमेंट एक रास्ता हो सकता है जो आपको राहत दे सकता है। यह एक समझौता होता है जिसमें बैंक मान जाता है कि आप पूरी रकम नहीं चुका सकते हैं, इसलिए वह एक तय की गई छोटी राशि लेकर लोन खाता बंद कर देता है। हालांकि यह समाधान पूरी तरह से ‘आदर्श’ नहीं होता हैं, क्योंकि इससे आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में ‘Settled’ का टैग लग जाता है, जो आगे आपकी वित्तीय विश्वसनीयता को प्रभावित करता है।
लोन सेटलमेंट एक अंतिम उपाय होना चाहिए, तब जब आपके पास सचमुच कोई दूसरा विकल्प न हो। इससे पहले आपको बैंक से EMI रिस्ट्रक्चरिंग, मोराटोरियम, या टेम्पररी रिलीफ की भी बात करनी चाहिए। अगर बैंक समझता है कि आप आगे भी भुगतान नहीं कर पाएंगे, तभी वह सेटलमेंट की प्रक्रिया पर भी विचार करता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’s)
Ans: हां, Loan Settlement करने से आपकी क्रेडिट रिपोर्ट पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे भविष्य में आपको लोन प्राप्त करने में मुश्किल हो सकती है।
Ans: Loan Closure के बाद अगर आपने पूरी राशि चुकता की है, तो CIBIL स्कोर पर सकारात्मक असर पड़ता है, क्योंकि यह आपकी क्रेडिट जिम्मेदारी को दर्शाता है।
Ans: Loan Settlement के बाद, बैंक या लेंडिंग एजेंसी द्वारा माफ किया गया हिस्सा कभी नहीं चुकता किया जा सकता हैं। हालांकि, अगर आपके पास पैसे होते हैं, तो आप बाकी की राशि चुकता कर सकते हैं, लेकिन इससे पहले सेटलमेंट के समझौते को ध्यान में रखते हुए काम करना होगा।
Ans: Loan Closure की प्रक्रिया आमतौर पर कुछ दिनों से लेकर एक सप्ताह तक पूरी हो सकती है, बशर्ते आप पूरी राशि का भुगतान कर चुके हों और बैंक से सभी दस्तावेज प्राप्त कर चुके हों।
Ans: Loan Settlement का निर्णय लेने से पहले आपको अपनी वित्तीय स्थिति, बैंक के साथ समझौते के शर्तें, और इस प्रक्रिया के दीर्घकालिक प्रभावों पर विचार करना चाहिए। CIBIL स्कोर पर पड़ने वाले प्रभाव को समझना भी जरूरी है।